Delhi Fake Documents Gang: दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की क्राइम ब्रांच नॉर्थरन रेंज वन की टीम ने जालसाजों के एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ करने में कामयाबी पाई है, जो काफी समय से फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के अवैध काम को अंजाम दे रहे थे. यही नहीं आरोपी उन फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर लोगों को मोबाइल के सिम कार्ड, बैंक अकाउंट खुलवाना और लोन दिलाने जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाते थे. इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान रोहित उर्फ आकाश, पिंटू और अनुराग के रूप में हुई है. ये दिल्ली के मुकंदपुर, वजीराबाद और बापरोल इलाके के रहने वाले हैं.


स्पेशल सीपी रविन्द्र सिंह यादव के अनुसार इनके कब्जे से 27 नकली आधार कार्ड, 34 पैन कार्ड, 4 वोटर कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस में इस्तेमाल किया जाने वाला 15 ब्लैंक चिप कार्ड, 15 मोबाइल फोन, 02 लैपटॉप, 07 क्रेडिट-डेबिट कार्ड, 20 बैंक चेक बुक, अलग-अलग कंपनियों के 48 सिम कार्ड, आदर्श नगर के विधायक पवन शर्मा के नाम का मोहर, फिंगरप्रिंट स्कैनर, आई स्कैनर यूएसबी कैमरा और अन्य प्रिंटर के साथ-साथ लेमिनेशन डिवाइस बरामद की गई है.


ऐसे मिली थी गिरोह के बारे में जानकारी


स्पेशल सीपी ने बताया कि क्राइम ब्रांच एन आर वन की टीम को जहांगीरपुरी के एक कैफे में फर्जी दस्तावेज बनाए जाने की सूचना मिली थी. इसकी सूचना पर डीसीपी विचित्र वीर और एसीपी विवेक त्यागी की देखरेख में इंस्पेक्टर सतीश मलिक के नेतृत्व में एएसआई ब्रह्मदेव, हेड कॉन्स्टेबल नितिन कुमार और नवल सिंह की टीम का गठन किया गया था. पुलिस टीम ने उस साइबर कैफे में एक नकली ग्राहक भेजा, जिसने फर्जी दस्तावेज बनाने की बात की. कैफे संचालक की ओर से दस्तावेज बनाने के लिए हामी भरने के बाद पुलिस ने वहां रेड डाली और भारी मात्रा में नकली दस्तावेजों को बरामद करने के साथ तीन आरोपियों को भी दबोच लिया.


इन कामों में होगा फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल


जांच में बरामद आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाईसेंस के नकली होने का पता चला. इनमें फोटो किसी और की लगी हुई थी, जबकि आधार नंबर किसी और के नाम पर जारी हुआ था. आरोपियों ने बताया कि वह उन लोगों को निशाना बनाते थे, जिनका आधार कार्ड अभी तक जारी नहीं हुआ है. आरोपी ने बताया कि पहले इनका आधार कार्ड बनाते हैं, इसके बाद इस आधार कार्ड के जरिए दूसरे लोगों के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे. पैन कार्ड और लाइसेंस भी इसी तरह बनाए जाते थे.


पुलिस के मुताबिक उनके पास से मिली फर्जी दस्तावेजों में अलग-अलग बैंकों के पासबुक भी शामिल हैं. इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अलग-अलग नामों से बैंक में खाते खोले जाते थे, साथ ही लोन और सिम कार्ड दिलाने में भी इनका इस्तेमाल किया जाता था. उन्होंने बताया कि अब तक वह करीब 100 से अधिक लोगों के बैंक खाते, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खुलवा चुके हैं.


तीनों आरोपियों का था अलग-अलग काम


आरोपियों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि कैफे का मालिक करीम नाम का शख्स है, जिसके साथ मिल कर आरोपी रोहित उर्फ आकाश साइबर कैफे को चलाता था. साथ ही फर्जी दस्तावेजों को भी बनाता था. वहीं पिंटू, उनकी ओर से दिए गए दस्तावेजों के आधार पर सिम कार्ड उपलब्ध करवाता था. इसे एक्टिवेट करने के लिए ये अलग-अलग मोबाइक फोन इस्तेमाल करते थे, जबकि अनुराग का काम उन दस्तावेजों के आधार ओर लोन दिलाना था. इस मामले में पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की जांच में जुट गई है.


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