Delhi Road Accident News: राष्ट्रीय राजधानी में पिछले साल की तुलना में इस साल सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में तीन फीसदी से अधिक की कमी आयी है. पुलिस ने मंगलवार (12 दिसंबर) को यह जानकारी दी. पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने सड़क हादसों पर 'दिल्ली रोड दुर्घटना रिपोर्ट-2022' नाम से रिपोर्ट जारी किया, जिसमें पिछले साल हुए हादसों के कारणों, पैटर्न समेत उनका विश्लेषण किया गया और सड़क डिजाइन, विनियम एवं अभियोजन के संबंध में सुझाव दिये गये हैं.


पुलिस ने कहा कि हादसों के विश्लेषण से सरकार को साक्ष्य आधारित, लक्षित प्रयासों और कार्यक्रमों के माध्यम से सड़कों पर लोगों की जिंदगी बचाने में सक्रिय भूमिका निभाने में मदद मिलती है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, '' 2022 में 30 नवंबर तक (सड़क हादसों में) जान गंवाने वालों की संख्या 1342 थी जबकि 2023 की उसी अवधि में 1300 लोगों की जान (सड़क हादसों) में गयी यानी इस तरह की मौतों में 3.1 फीसदी की कमी आयी.'' पुलिस का मानना है कि यह कमी दिल्ली सड़क सुरक्षा कार्ययोजना में निर्धारित रणनीतियों की प्रभावशीलता का परिणाम है.


सड़क हादसों पर पुलिस ने क्या कहा?
पुलिस आयुक्त ने कहा कि 2022 में यहां सड़क हादसों में 1461 लोगों की जान चली गयी थी. उन्होंने कहा, ''इस रिपोर्ट में हमने सड़क सुरक्षा कार्ययोजना की रूपरेखा तैयार की जिसमें जागरूकता, अभियांत्रिकी, नियम क्रियान्वयन और आपात देखभाल के लिए विभिन्न विभागों के संयुक्त प्रयास शामिल हैं. उसमें सबसे पहले इस बात पर जोर दिया गया कि हादसों की गुजाइंश कम से कम करने के लिए सड़क डिजाइन इस तरह किया जाए ताकि सड़कों पर आने-जाने के दौरान लोगों से यातायात संबंधी गलतियां कम से कम हों. दूसरा, ऐसा प्रयास करना कि यदि कोई हादसा हो भी तो वह जानलेवा रूप न ले.''


सड़क हादसों में 43 फीसदी पैदलयात्रियों की मौत
हादसों पर रोकथाम को लेकर पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने कहा, '' दिल्ली यातायात पुलिस की कोशिश से दिल्ली में पिछले दशक में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में 20 फीसदी की कमी आयी है. लोगों की जान बचाने की अपनी कोशिशें जारी रखते हुए हमने पदयात्री केंद्रित यातायात प्रबंधन पर अब ध्यान बढ़ा दिया है.'' रिपोर्ट के अनुसार हादसों का जोखिम सबसे अधिक पैदल यात्रियों और फिर दोपहियावाहन चालकों पर होता है. सड़क हादसों में जान गंवाने वालों में 2022 में पैदलयात्री 43 फीसदी और दोपहियावाहन चालक 38 फीसदी थे.


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