Delhi News: भारत में हर साल हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं. साल 2022 की बात करें तो देशभर में 4 लाख 61 हजार सड़क हादसे हुए. इनमें 1 लाख 68 हजार लोगों ने अपनी जान गंवा दी. वहीं एक चौंकाने वाली बात और सामने आई है. साल 2022 में दिल्ली के एम्स जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर (JPNATC) में मृत लाए गए, लगभग 82 प्रतिशत लोग सड़क दुर्घटना के शिकार थे यानि रास्ते में ही इन लोगों की मौत हो चुकी थी. सड़क दुर्घटनाओं के शिकार 61 प्रतिशत लोगों को उनके परिवार के सदस्य ट्रॉमा सेंटर लेकर आए थे. वहीं 48 प्रतिशत ऐसे मामलों में तिपहिया वाहनों पीड़ितों को लाया गया.


सड़क सुरक्षा पर सीआईआई शिखर सम्मेलन में इसके प्रमुख कामरान फारूक ने जानकारी देते हुए बताया कि कैसे राजधानी में भी सड़क दुर्घटनाओं को तत्काल चिकित्सा देखभाल नहीं मिल पाती. भारत के विधि आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर समय पर सड़क दुर्घटना का शिकार लोगों को चिकित्सा सुविधा मिल पाए तो आधे से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकती है.


2022 में ट्रॉमा सेंटर में घायल अवस्था में आए 53,541 मरीज


देश में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. इस पर प्रकाश डालते हुए कामरान फारूक ने बताया कि साल 2022 में ट्रॉमा सेंटर में घायल अवस्था में 53,541 मरीज आए, जिसमें से 25 प्रतिशत मरीज सड़क दुर्घटनाओं का शिकार थे. इसमें से 60 प्रतिशत मरीज 21 से 40 साल की उम्र के थे. इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता है, ये गंभीर चिंता का विषय है.


अस्पताल पहुंचाने के लिए संगठित व्यवस्था का अभाव


आंकड़ों के अनुसार, लगभग 61 प्रतिशत सड़क दुर्घटना का शिकार लोगों को उनके परिजन ही अस्पताल लेकर आए हैं. इससे पता चलता है कि घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए संगठित व्यवस्था का अभाव है. इसके अलावा हादसे का शिकार लोगों को तिपहिया वाहनों से अस्पताल लाया जाना भी, भारत जैसे देश के लिए आदर्श स्थिति नहीं है. कामरान फारूक ने कहा कि घायलों को अस्पताल पहुंचाने की एक मजबूत प्रणाली स्थापित कर सड़क दुर्घटनाओं में होनी वाली मौतों को कम किया जा सकता है.


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