दिल्ली में बेकाबू हुए प्रदूषण पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियमों का असर तीसरे दिन और साफ नजर आया. राजधानी के पेट्रोल पंपों से लेकर बॉर्डर तक बिना वैध पीयूसीसी वाले वाहनों को रोक दिया गया. नतीजा यह रहा कि सभी PUC सेंटर पर लंबी लंबी कतारें देखने को मिली तो कहीं सर्वर ठप होने से आम जनता घंटों परेशान होते रहे.
शनिवार को भी राजधानी के अधिकांश पेट्रोल पंपों पर बिना पीयूसीसी ईंधन देने से साफ इनकार कर दिया गया. वाहन चालक पहले प्रदूषण जांच केंद्र पहुंचे और प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही पेट्रोल या डीजल भरवा सके. अचानक बढ़ी जांच की संख्या ने व्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव बना दिया.
सर्वर डाउन लोगों के लिए सबसे बड़ी बाधा
पीयूसीसी जांच के दौरान तकनीकी खामियां सामने आईं. कई इलाकों में सुबह से दोपहर तक सर्वर काम नहीं कर पाया. इससे न तो प्रमाणपत्र जारी हो सके और न ही वाहन चालकों को ईंधन मिल सका. लोगों को पेट्रोल पंप परिसर में ही लंबा इंतजार करना पड़ा.
कार्रवाई के आंकड़ों में दिखी सख्ती
राजधानी दिल्ली में नए नियम लागू होने के बाद सरकारी आंकड़ों के अनुसार बीते 24 घंटे में 12 हजार से अधिक वाहनों पर नियम उल्लंघन को लेकर कार्रवाई की गई. सैकड़ों वाहनों को मौके से ही लौटा दिया गया. ट्रैफिक पुलिस ने हजारों वाहनों की जांच की और नियम न मानने वालों पर चालान किया.
ग्रेप नियमों का असर बॉर्डर पर दिखा साफ
राजधानी में प्रवेश करने वाले मार्गों पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर वाहनों की जांच की. कई जगह संदेह के आधार पर गाड़ियों को रोका गया. बिना मानक पूरे करने वाले वाहन चालकों को दिल्ली में प्रवेश नहीं करने दिया गया और वापस लौटने की सलाह दी गई. ग्रेप के तहत बीएस-6 से नीचे के बाहरी पंजीकृत वाहनों पर रोक के चलते बॉर्डर इलाकों में विशेष निगरानी रखी गई. आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य वाहनों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई. इसके चलते कुछ बॉर्डर प्वाइंट्स पर ट्रैफिक धीमा भी पड़ा.
द्वारका में सबसे ज्यादा दबाव, लाइन में खड़े रहना बनी आम बात
पश्चिमी दिल्ली के उपनगरी द्वारका इलाके के पेट्रोल पंपों पर लगातार दूसरे दिन भारी भीड़ देखी गई. यहां आधुनिक स्कैनिंग सिस्टम के जरिए वाहन नंबर डालते ही पीयूसीसी की स्थिति सामने आ गई. जिनका प्रमाणपत्र एक्सपायर था, उन्हें सीधे जांच केंद्र भेज दिया गया. कई पीयूसीसी केंद्रों पर वाहन चालकों को आधे घंटे से ज्यादा इंतजार करना पड़ा. खासतौर पर गुरुग्राम से जुड़े मार्गों पर दबाव ज्यादा रहा. कामकाजी लोगों के लिए यह प्रक्रिया समय लेने वाली साबित हुई.
पश्चिमी जिला का बहुचर्चित इलाका राजौरी गार्डन के कई पेट्रोल पंप पर भी लंबी-लंबी कतारें देखने को मिली. लोगों का आरोप की नियम लागू करने से पहले उससे जुड़ी तैयारी तो सरकार पुरी कर लेती. सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा आम जनता पर फोड़ सिर्फ उन्हें परेशान करना जानती है.
दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली में भी वही हालात, टोल प्लाजा से लौटाए गए वाहन
दक्षिणी दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर भी बिना पीयूसीसी ईंधन नहीं दिया गया. पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर, चिल्ला और अप्सरा बॉर्डर पर बाहर से आने वाले वाहनों की जांच जारी रही. सुरक्षा कारणों से एक्सप्रेसवे पर वाहनों को रोकने में सावधानी बरती गई. कालिंदी कुंज और बदरपुर जैसे प्रमुख टोल प्वाइंट्स पर प्रतिबंधित वाहनों को वापस भेजा गया. दूसरे दिन ऐसे वाहनों की संख्या में कमी देखी गई, जिससे साफ हुआ कि लोगों को नियमों की जानकारी मिलने लगी है.
लोगों ने उठाए तकनीकी व्यवस्था पर सवाल
पीयूसीसी बनवाने पहुंचे कई वाहन चालकों ने सर्वर बार-बार डाउन होने पर नाराजगी जताई. लोगों का कहना था कि जब जांच को अनिवार्य किया गया है, तो तकनीकी क्षमता भी उसी स्तर की होनी चाहिए. कमजोर सर्वर व्यवस्था से आम जनता को अनावश्यक परेशानी झेलनी पड़ रही है.
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