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राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते साइबर अपराधों पर लगाम कसने के लिए दिल्ली पुलिस ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया है. 1 नवंबर 2025 से, दिल्ली में 1 लाख रुपये या उससे अधिक की साइबर ठगी के मामलों में सीधे ई-एफआईआर (E-FIR) दर्ज की जाएगी. गृह मंत्रालय के 'इंडियन साइबरक्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर' (I4C) की पहल पर शुरू की गई इस नई व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य पीड़ितों को तत्काल राहत पहुंचाना और जांच प्रक्रिया को सुव्यवस्थित व तेज करना है.

पहले यह सुविधा केवल 10 लाख रुपये से अधिक के साइबर फ्रॉड मामलों के लिए ही उपलब्ध थी. लेकिन अब इस सीमा को घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा पीड़ित इस त्वरित प्रणाली का लाभ उठा सकें.

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कैसे काम करेगी नई प्रणाली?

अब साइबर धोखाधड़ी का शिकार कोई भी व्यक्ति हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके या राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in) पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है. शिकायत दर्ज होते ही पोर्टल स्वचालित रूप से एक ई-एफआईआर उत्पन्न करेगा और उसे तत्काल जांच के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को भेज देगा.

जांच के लिए तय की गई स्पष्ट रूपरेखा

दिल्ली पुलिस ने जांच के लिए एक स्पष्ट ढांचा भी तैयार किया है, जो ठगी की राशि पर आधारित है:

25 लाख रुपये तक के मामलों की जांच जिला साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन द्वारा की जाएगी.

25 लाख से 50 लाख रुपये तक के फ्रॉड मामलों को क्राइम ब्रांच का साइबर सेल देखेगा.

50 लाख रुपये से अधिक की ठगी के गंभीर मामलों की जांच दिल्ली पुलिस की विशेष IFSO (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस) यूनिट को सौंपी जाएगी.

पीड़ित की जिम्मेदारी और पुलिस की तत्काल कार्रवाई

ई-एफआईआर मिलते ही जांच अधिकारी तुरंत कार्रवाई शुरू कर देंगे, जिसमें आरोपी के बैंक खातों को फ्रीज कराना, कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) का विश्लेषण करना और सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा करना शामिल है.

हालांकि, इस प्रक्रिया में पीड़ित की भी एक अहम भूमिका होगी. शिकायत दर्ज होने के 72 घंटों के भीतर, पीड़ित को संबंधित पुलिस स्टेशन जाकर ई-एफआईआर पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा. यदि पीड़ित निर्धारित समय में नहीं पहुंचता है, तो पुलिस नोटिस जारी करने के बाद ई-एफआईआर को बंद भी कर सकती है.

हर थाने में 'इंटीग्रेटेड हेल्प डेस्क'

पीड़ितों की सुविधा के लिए, अब दिल्ली के हर पुलिस थाने में एक 'इंटीग्रेटेड हेल्प डेस्क' भी स्थापित किया गया है. इसका मतलब है कि पीड़ित, चाहे वह दिल्ली के किसी भी इलाके में रहता हो, अपने नजदीकी किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर 1 लाख या उससे अधिक की साइबर ठगी की शिकायत दर्ज करा सकता है.

दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का मानना है कि इस नई ई-एफआईआर प्रणाली से न केवल एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में अभूतपूर्व तेजी आएगी, बल्कि साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई भी अधिक प्रभावी ढंग से की जा सकेगी, जिससे पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिल सकेगा.