Delhi Organ Donation: अंगदान को 'महादान' कहा गया है. दिल्ली में अपने प्रियजन को खोने के शोक के बीच, एक 37 वर्षीय कॉर्पोरेट कर्मचारी के परिवार ने अपने दुःख को दूसरों के लिए आशा में तब्दील कर दिया. ये सब कुछ ऑर्गन डोनेशन के जरिए संभव हो पाया. 12 मई को जब कर्मचारी को ब्रेन डेड घोषित किया गया, तो उनके परिवार ने उस शख्स के अंग को दान करने का बेहद ही उदार फैसला लिया. ये एक ऐसा अहम निर्णय था, जिसने तीन लोगों के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक 9 साल के बच्चे के पिता को अचानक ब्रेन हेमरेज और बेहोशी के बाद 1 मई को मणिपाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. आईसीयू मेडिकल टीम के प्रयासों के बावजूद, उनकी जान नहीं बचाई जा सकी. उनकी पत्नी ने अपने परिवार और अस्पताल में काउंसलिंग टीम के समर्थन से उनकी याद में किसी के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगाने का फैसला किया.
जरूरतमंदों के लिए वरदान है अंगदान!
परिवार की हामी के बाद नेशनल ऑर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) की ओर से ये सुनिश्चित किया गया कि उनका लीवर और दोनों किडनी उन लोगों को दान किए जाएं, जिन्हें इसकी सख्त जरूरत थी. हालांकि उनके हृदय और फेफड़े का ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता था, लेकिन उनके अन्य ऑर्गन जरूरतमंदों के लिए वरदान की तरह थे.
ऑर्गन डोनेशन से 3 लोगों को मिला नया जीवनदान
उसके लिवर ने 61 वर्षीय व्यक्ति को जीवन का दूसरा मौका दिया और उनकी किडनी ने 52 वर्षीय शख्स और एक 59 वर्षीय महिला को नया जीवनदान दिया. उनके जीवन को उनके सबसे बुरे समय में एक परिवार के साहस और दया ने हमेशा के लिए बदल दिया. मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत श्रीनिवासन ने कहा, "ऐसे कठिन समय में परिवार का साहस और करुणा वास्तव में प्रेरणादायक है और यह उस बात की याद दिलाता है कि एक जीवन कई लोगों पर कितना प्रभाव डाल सकता है."
मणिपाल ऑर्गन शेयरिंग एंड ट्रांसप्लांट (MOST) के प्रमुख डॉ. (कर्नल) अवनीश सेठ वीएसएम ने कहा, "ऑर्गन डोनेशन जीवन के अंत में देखभाल का एक अनिवार्य घटक होना चाहिए. वेटिंग लिस्ट के अनुसार अंगों के आवंटन में पारदर्शिता, जैसा कि हमारे देश में NOTTO द्वारा किया जा रहा है, परिवार को सही निर्णय पर पहुंचने के लिए बहुत आत्मविश्वास देता है."