दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने बुधवार को किसी भी जलाशय में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी और लोगों से अपील करते हुए कहा कि सभी अपने घरों में ही बाल्टी या कंटेनर में मूर्ति विसर्जन करें.


जो लोग इन आदेशों का पालन नहीं करेंगे उन्हें भारी जुर्माना देना होगा. डीपीसीसी ने कहा है कि अगर कोई यमुना में मूर्ति विसर्जित करते हुए पकड़ा जाता है तो उस पर 50 हजार तक जुर्माना लगाया जा सकता है.


समिति ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप नदियों और झीलों में होने वाला प्रदूषण चिंता का विषय है. डीपीसीसी ने एक अधिसूचना में कहा, ' आगामी दुर्गा पूजा के दौरान यमुना नदी या किसी अन्य जलाशय, तालाबों, घाटों सहित किसी भी सार्वजनिक स्थान पर मूर्ति विसर्जन की अनुमति नहीं होगी.


प्लास्टर ऑफ पेरिस के जगह पारंपरिक मिट्टी से बनाई जाए मूर्तियां
मूर्ति विसर्जन अनुष्ठान घर में ही बाल्टी या कंटेनर में किया जा सकता है. प्रदूषण नियंत्रण निकाय डीपीसीसी ने कहा कि मूर्ति विसर्जन के कारण पानी की गुणवत्ता में गिरावट को लेकर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि इससे पानी के संदर्भ में वाहकता, जैव रासायनिक ऑक्सीजन की मांग और भारी धातु एकाग्रता के संबंध में गुणवत्ता में गिरावट आती है. '


डीपीसीसी ने कहा है कि प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से मूर्ति बनाने के बजाय पारंपरिक मिट्टी जैसी प्राकृतिक सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए. उसने कहा कि पीओपी से बनी मूर्तियों पर लगाए गए रसायनिक रंगों और पेंट के कारण जलीय जीवों के जीवन पर बेहद हानिकारक प्रभाव पड़ता है.


हर शुक्रवार को सौंपे रिपोर्ट


डीपीसीसी ने कहा कि मूर्तियों को रंगे जाने के लिए केवल पानी में घुलनशील और गैर विषैले प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाना चाहिए. डीपीसीसी ने इन निर्देशों के साथ ही संबंधित एजेंसियों को हर शुक्रवार को नियमों का उल्लंघनों करने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने को भी कहा है.


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