Delhi Cyber Fraud: गूगल पर अगर आप किसी प्रॉडक्ट से जुड़ी शिकायत और रिफंड के लिए उस कंपनी के कस्टमर केयर का नंबर सर्च कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए नहीं तो आप भी साइबर ठगों के अगले शिकार हो सकते हैं. दक्षिणी दिल्ली के साइबर थाने की पुलिस ने साइबर ठगों के एक ऐसे ही गैंग का खुलासा किया है, जो गूगल एड की सहायता से गूगल पर विभिन्न कंपनियों के कस्टमर केयर का फर्जी नंबर डाल कर लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम देते थे.


इस मामले में पुलिस ने छापेमारी कर पटना से तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है. जिनकी पहचान, रितिक कुमार, मनीष कुमार और संजय कुमार के रूप में हुई है. ये सभी पटना, बिहार के रहने वाले हैं. उनके कब्जे से पुलिस ने 6 मोबाइल फोन, 1 पासबुक, 1 आधार कार्फ और 1 सिम कार्ड भी बरामद किया है.


महिला के खाते से उड़ाए लोखों रुपये 


डीसीपी अंकित चौहान ने बताया कि पंचशील पार्क की रहने वाली एक महिला शिकायतकर्ता ने साइबर थाने की पुलिस को दी गयी शिकायत में बताया कि उन्होंने घरेलू आटा मशीन खरीदी थी, जो डिफेक्टिव निकली. जिसकी शिकायत उन्होंने कंपनी की वेबसाइट पर दर्ज की थी. वहां से उन्हें दो कॉन्टैक्ट नम्बर मिले थे, जिस पर संपर्क करने पर उनके प्रोडक्ट वापस लेने और उनके बैंक खाते में रिफंड का वादा किया गया.


जिस पर उन्होंने धन वापसी के लिए अपने पेटीएम पेमेंट वॉलेट का नंबर उसे दे दिया, लेकिन धोखे से उनके खाते से एक लाख 29 हजार रुपये निकाल लिए गए. पीड़िता की शिकायत के आधार पर साइबर थाने में मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की गई.


पुलिस ने टीम गठित कर शुरू की जांच 


मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी ऑपरेशन राजेश कुमार की देखरेख और एसएचओ अरुण कुमार वर्मा के नेतृत्व में महिला एसआई प्रीति मान, एसआई गुमान सिंह, हेड कॉन्स्टेबल सुनील और अन्य की टीम का गठन कर आरोपियों के बारे में जानकारियों को विकसित करने और उनकी पकड़ के लिए लगाया गया था. पुलिस टीम ने शुरुआती पूछताछ के दौरान शिकायतकर्ता से मामले की विस्तृत जानकारी हांसिल की और पैसों के ट्रेल पता कर बैंक खाते से जुड़े मोबाइल नंबर के CAF और सीडीआर प्राप्त कर उस पर गहन निगरानी लगाई.


आखिरकार टेक्निकल सर्विलांस और मनी ट्रेल की जानकारियों के लिए विश्लेषण से पुलिस को पटना के संजय कुमार के बैंक खाते में पैसों के ट्रांसफर किये जाने और उसी तारीख में झारखंड स्थित जामताड़ा में एटीएम से पैसे निकाले जाने का पता चला. गूगल एड सर्विसेज की सेवाओं के लिए ठगी की रकम के बड़े हिस्से का इस्तेमाल गूगल इंडिया पेमेंट प्राईवेट लिमिटेड के लिए किए जाने की भी जानकारी पुलिस को मिली.


पुलिस ने आरोपियों को दबोचा 


पुलिस ने उपलब्ध सभी पहलुओं पर काम किया. बैंक ट्रांजेक्शन से जुड़े कुछ अन्य जानकारियों का भी टीम ने विश्लेषण किया और तार्किक आधार पर उसका सत्यापन भी किया. आखिरकार कथित मोबाइल नंबर के कॉल डिटेल रिकॉर्ड के गहन विश्लेषण किया. जिसके आधार पर पुलिस के हाथ कुछ खास सुराग लगे और फिर पटना में छापेमारी कर पुलिस ने तीन आरोपियों को दबोच लिया. उनकी निशानदेही पर पुलिस ने छह मोबाइल फोन, बेनिफिसरी अकाउंट से जुड़ा आधार कार्ड, बैंक पासबुक और एक सिम कार्ड (कैफ से जुड़ा अल्टरनेट मोबाइल नंबर) बरामद किया.


आरोपी ने किया खुलासा 


पूछताछ में आरोपी संजय, जो की कथित अकाउंट होल्डर है ने बताया की उसके कजिन भाई मनीष ने बैंक खाते को खुलवाने में मदद की थी. अकाउंट के खुलने के बाद संजय ने एटीएम कार्ड और पासबुक वाला बैंक किट और बैंक से जुड़े मोबाइल नंबर को मनीष के हवाले कर दिया. इसके लिए उसे 6000 रुपये मिले थे.


आगे मनीष ने खुलासा किया उसने संजय के बैंक अकाउंट को उसके दोस्त रितिक को भेज दिया है, जो कमीशन के आधार पर बैंक खाते की खरीदारी करता है. वहीं आरोपी रितिक ने बताया कि वह जामताड़ा में रहने वाले अपने एक दोस्त के संपर्क में है, जिसे उसने संजय के बैंक खाते को जोड़ दिया था.


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