Delhi News: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 दिल्ली दंगा (Delhi Riot) मामले में बड़ी साजिश रचने के मामले में पूर्व छात्र नेता उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. उमर खालिद ने 'देरी और आरोपियों के साथ समानता' के आधार पर नियमित जमानत की मांग की है. वह सितंबर 2020 से ही हिरासत में है. उस पर यूएपीए की धारा लगाई गई है. दिल्ली पुलिस ने याचिका को तुच्छा और निराधार बताकर इसका विरोध किया है. 


उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए 1967 की धारा 13,16,17 और 18 के तहत केस दर्ज किया गया है. इसके अलावा आर्म्स एक्ट 1959 की धारा 25 और 27 के तहत केस दर्ज किया गया है. साथ ही उमर पर प्रीवेन्शन ऑफ पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 की धारा 3 और 4 के तहत भी मामला दर्ज है. इस मामले के आरोपियों में ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद, सलीम खान, अतहर खान, सफूरा जरगर, शरजील इमाम, फैजान खान और नताशा नरवाल भी शामिल हैं.


सुप्रीम कोर्ट से उमर ने वापस ली थी याचिका
पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी जिसे इसी साल जनवरी में ही वापस ले लिया था. उनके वकील कपिल सिबल ने याचिका वापस लेने की अपील करते हुए बदली हुई परिस्थितियों का हवाला दिया था और कहा कि वह निचली अदालत से राहत की अपील करेंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी थी. उमर खालिद ने स्पेशल लीव की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.


हाई कोर्ट ने पुलिस को दिया था यह आदेश
अप्रैल 2022 में एक ट्रायल कोर्ट ने खालिद की पहली जमानत याचिका खारिज कर दी थी और बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी उसकी अपील खारिज कर दी. वहीं, फरवरी 2024 में हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि क्या 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों में एक बड़ी साजिश का आरोप लगाने वाले यूएपीए मामले में उनकी जांच पूरी हो गई है या वह अतिरिक्त आरोपपत्र दायर करेगी. 


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