Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट (Delh High Court) का कहना है कि राजधानी में आवारा कुत्तों (Stray Dogs) का मुद्दा गंभीर है जिसपर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने नगर निगम (MCD) आयुक्त को इस मामले में उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने यह बात एक महिला के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर के सिलसिले में कही है. साथ ही उन्होंने उस महिला के खिलाफ दर्ज दो एफआईआर (FIR) को भी खारिज कर दिया है जो कुत्ते के हमले के संबंध में की गई थी.


दरअसल, दोनों पक्ष आरोपी और वादी ने मामले को शांतिप्रिय ढंग से आपस में सुलझा लिया था. दिल्ली में एक समाजसेवी और पशु प्रेमी पर वादी ने आरोप लगाया गया था कि उनके कुत्ते ने 2014 में उनके पिता और एक अन्य व्यक्ति को काट लिया था. कोर्ट ने कहा, ''दोनों पक्ष पड़ोसी हैं और एक ही इलाके में रहते हैं. दोनों के बीच का विवाद निजी है और दोनों पक्षों ने आपस में शांतिपूर्वक विवाद सुलझा लिया है. न्याय के हित को देखते हुए यह बेहतर होगा कि विवाद को यहीं समाप्त कर दिया जाए. दोषारोपण की संभावना क्षीण है, क्योंकि दोनों ही पक्ष समझौता कर चुका है और कोई शिकायत नहीं चाहता.''


एमसीडी को दिया यह आदेश
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि समझौते को खारिज करने का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है. हालांकि जस्टिस शर्मा ने यह जरूर कहा कि कुत्तों का आतंक गंभीर मुद्दा है और उसपर संबंधित प्राधिकरण को तत्काल ध्यान देना चाहिए. कोर्ट ने साथ ही कहा है कि इस आदेश की कॉपी नगर निगम के आयुक्त को भी भेज दी जाए. बता दें कि समाजसेवी ने अपनी दलील में कहा था कि जिन कुत्तों ने लोगों को काटा है वे आवारा कुत्ते थे और उनके पालतू जानवर नहीं थे. वह बस उन कुत्तों को नियमित रूप से खाना खिलाती थीं.


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