आम आदमी पार्टी की याचिका पर सुनवाई करते दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि सरकारी बंगलों का आवंटन किसी भी हाल में मनमानी तरीके से नहीं किया जा सकता. हाई कोर्ट ने साफ किया कि इसके लिए स्पष्ट और पारदर्शी नीति होनी चाहिए. कोर्ट में दाखिल याचिका में AAP ने अपने राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में सरकारी आवास दिए जाने की मांग की है.
दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस सचिन दत्ता ने केंद्र सरकार से पूछा, ''क्या बंगला आवंटन करने के लिए कोई तय प्रक्रिया है. अब तक यह कैसे लागू हुई है, जब बंगलों की संख्या सीमित है तो प्राथमिकता किस आधार पर तय होती है.''
बंगला आवंटन पर केंद्र ने दी कोर्ट में दलील
दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से दलील देते हुए बताया गया कि लोदी स्टेट स्थित टाइप 7 बंगला नंबर 35 जिसे आम आदमी पार्टी ने केजरीवाल के लिए मांगा था. 14 जुलाई को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को आवंटित किया जा चुका है. यह वही बंगला है जिसे बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मई में खाली किया था. हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकार अपनी मौजूदा आवास आवंटन नीति एफिडेविट के साथ किन-किन को आवास आवंटित किए गए और प्राथमिकता का आकलन किस प्रकार हुआ.
दिल्ली हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी
दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि उसे बड़ा मुद्दा देखना है कि आखिर विवेकाधिकार का इस्तेमाल किस तरह किया जाता है. अदालत में चेतावनी देते हुए कहा, ''किसी फ्री फ़ॉर ऑल सिस्टम की तरह नहीं चल सकता जहां मनचाहे ढंग से किसी को भी घर मिल जाए. हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव और संपदा निदेशालय के निदेशक को पेश होने के लिए कहा है.
'आप' पार्टी के वकील ने दी अहम दलील
दिल्ली हाई कोर्ट में आम आदमी पार्टी की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा दलील देते हुए कहा, ''मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष को नियमों के मुताबिक सरकारी आवास मिलना चाहिए. बशर्ते उनके पास दिल्ली में कोई निजी मकान न हो और ना ही किसी अन्य पद के आधार पर आवास मिला हो. इस मामले में सभी शर्ते पूरी होती है इसलिये हम केवल एक केंद्रीय जगह पर आवास की मांग कर रहे है.'' अब इस मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी, जिसमें केंद्र को पूरी नीति और रिकॉर्ड अदालत के सामने रखने होंगे.