Rajendra Pal Gautam Resignation: दिल्ली सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम ( Former Minister Rajendra Pal Gautam) पर हिंदू देवी देवताओं के अपमान का आरोप लगा है जिसके बाद उन्होंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया. फिलहाल वह अब दिल्ली सरकार (Delhi government) में मंत्री नहीं है आखिरकार ये पूरा विवाद क्या है और कैसे और कब ये शुरू हुआ, यहां इसका जिक्र किया गया है. 


क्या बनी विवाद की वजह


दरअसल राजेंद्र पाल गौतम दशहरे के दिन दिल्ली के करोल बाग स्थित अंबेडकर भवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे. यह कार्यक्रम मिशन जय भीम और बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया की तरफ से आयोजित किया गया था जिसको लेकर कहा जा रहा है कि इसमें 10,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए और एक साथ इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने की शपथ ली और यह शपथ राजेंद्र पाल गौतम द्वारा दिलाई गई. मंच पर खड़े होकर राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि हम हिंदू देवी देवताओं की पूजा नहीं करेंगे और ना ही उन्हें ईश्वर मानेंगे और उनकी इन बातों को कार्यक्रम में शामिल हुए हजारों की संख्या में लोगों ने दोहराया.


क्या कहा था राजेंद्र पाल गौतम ने?


कार्यक्रम में जय भीम के नारे लगाते हुए राजेंद्र पाल गौतम ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि, साल 2025 तक 10 करोड़ लोगों को बौद्ध भगवान की शरण में लेकर आना है. उन्होंने बताया कि इस साल अक्टूबर तक 1,00,000 लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है. इसके साथ ही उन्होंने मंच पर खड़े होकर बौद्ध धर्म की अलग-अलग प्रतिज्ञा की जिसमें उन्होंने कहा कि मैं चोरी नहीं करूंगा, झूठ नहीं बोलूंगा, शराब नहीं पियूंगा इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उंच-नीच मानने वाले पुराने हिंदू धर्म का त्याग करके मैं बौद्ध धर्म की दीक्षा लेता हूं. इसके साथ ही अलग-अलग हिंदू देवी देवताओं का त्याग करता हूं. इन सभी प्रतिज्ञाओं को कार्यक्रम में मौजूद करीब 10,000 से ज्यादा लोगों ने दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के साथ दोहराया.


बीजेपी ने उठाए सवाल


इस कार्यक्रम के बाद इसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. इसके बाद कई लोगों ने इसको लेकर सवाल उठाए. वहीं बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगा दिया. बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी हमेशा से ही हिंदू विरोधी रही है. हिंदू देवी देवताओं का अपमान करते आई है और यही कारण है कि आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम में हिंदू देवी देवताओं की निंदा की गई, उनके खिलाफ नारेबाजी की गई, साथ ही 10,000 से ज्यादा लोगों ने एक साथ हिंदू धर्म को त्याग कर बौद्ध धर्म अपनाने की प्रतिज्ञा ली.


मिशन जय भीम के राष्ट्रीय महासचिव ने क्या कहा


मिशन जय भीम के राष्ट्रीय महासचिव बौद्ध बीपी निगम ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि, जो भी व्यक्ति बौद्ध धर्म की दीक्षा लेता है वह इन 22 प्रतिज्ञा को दोहराता है और यह कोई पहली बार नहीं है. साल 1956 से लेकर आज तक इन प्रतिज्ञा को दोहराया जा रहा है जिसमें व्यक्ति को भेदभाव नहीं करना, छुआछूत नहीं करना, झूठ नहीं बोलना, शराब नहीं पीना जैसी कई प्रतिज्ञाएं दिलाई जाती हैं और यह किसी भी व्यक्ति का निजी मामला है कि वह किस धर्म को मानता है कौन सी प्रतिज्ञा लेता है. ऐसे में किसी का अपमान नहीं होता. यदि मैं किसी एक धर्म को मानता हूं और दूसरे धर्म को नहीं मानता तो क्या मैं किसी धर्म का अपमान करूंगा? जबकि इन प्रतिज्ञा को भारत के संविधान और आधिकारिक दस्तावेजों में लिखा गया है.


खुद सरकार ने इन प्रतिज्ञाओं को लिखवाया-निगम


बीपी निगम ने कहा कि, नागपुर की दीक्षाभूमि में जहां पर हमारे संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जब पहली बार 14 अक्टूबर 1956 को इन प्रतिज्ञाओं को लिया था तो उनके साथ लाखों लोगों ने इनको दोहराया था और हर साल 14 अक्टूबर के दिन वहां पर एक कार्यक्रम आयोजित होता है जहां पर लाखों की संख्या में लोग इन प्रतिज्ञा को दोहराते हैं और बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते हैं. नागपुर के दीक्षा भवन में शीलापठ पर खुद सरकार ने इन प्रतिज्ञाओं को लिखवाया हुआ है.


राजनीतिक लाभ के लिए लगाए झूठे आरोप-निगम


बीपी निगम ने आरोप लगाया कि, इस पूरे मामले को लेकर राजनीति की जा रही है क्योंकि एक व्यक्ति जो इस कार्यक्रम में शामिल होता है और वह किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा हुआ था. केवल इस कारण से मामले को उठाया गया जबकि हर साल इस कार्यक्रम को आयोजित किया जाता है और पूरे देश भर में इस तरीके के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और इन प्रतिज्ञाओं को दोहराया जाता है लेकिन कुछ लोगों ने राजनीतिक लाभ के लिए इस तरीके के झूठे आरोप लगाए हैं.


क्या कहा राजेंद्र पाल गौतम ने विवाद के बाद


वहीं अपने ऊपर लगे इन आरोपों को लेकर राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि उन्होंने किसी धर्म का अपमान नहीं किया. उन्होंने केवल बाबा साहेब आंबेडकर की उन 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराया है जो उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 को छुआछूत और जातिगत भेदभाव को त्यागते हुए बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते हुए कहा था. यह 22 प्रतिज्ञाएं 14 अक्टूबर 1956 से लेकर आज तक हर साल दोहराई जाती हैं. जो भी व्यक्ति बौद्ध धर्म की दीक्षा लेता है वह प्रतिज्ञा को दोहराता है और इन प्रतिज्ञाओं को खुद मोदी सरकार ने डॉ अंबेडकर लाइफ एंड स्पीचेस में छपवाया भी है.


सरकार की तरफ से दबाव नहीं डाला गया- गौतम


राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि मैं बाबा साहेब के रास्ते पर चलने वाला आदमी हूं. मैं किसी की भावनाओं को आहत नहीं पहुंचा सकता. मैं सभी धर्मों में आस्था रखता हूं और सभी धर्मों को मानता हूं लेकिन लोगों द्वारा जो आरोप मुझपर लगाए गए उन्हीं भावनाओं से आहत होकर मैंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. मुझपर सरकार की तरफ से कोई दबाव नहीं डाला गया.


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