नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में मरीज इलाज के लिए बिलख रहे हैं, दर-दर भटक रहे हैं. सरकार माफी मांग रही है लेकिन दिल्ली के रेजिटेंड डॉक्टर्स हड़ताल वापस लेने को तैयार नहीं. जिद्द है कि पुलिस सोमवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान डॉक्टरों के साथ हुए दुर्व्यवहार के लिए खेद जताए, दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं, तभी काम पर लौटेंगे. 


सरकार ने डॉक्टरों की मांगे मानी


दिल्ली समेत देश के तमाम शहरों में पिछले 12 दिन से हड़ताल पर बैठे रेजिडेंट डॉक्टरों की सबसे बड़ी मांग थी कि सरकार NEET-PG की काउंसलिंग पर ठोस भरोसा दे ताकि एक लाख नए जूनियर डॉक्टरों की भर्ती हो सके और अस्पतालों में काम का बोझ कम हो. सरकार ने डॉक्टरों की ये मांग मान ली है.  बता दें कि NEET-PG की काउंसलिंग में बड़ी कानूनी अड़चन ये है कि नई आरक्षण नीति के तहत EWS कोटे में हुए बदलाव की वजह से ये मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है, जिसपर 6 जनवरी को सुनवाई होनी है. डॉक्टर्स सरकार से इस मुकदमे को फास्टट्रैक करना चाहते थे जिसे मान लिया गया है. 


सरकार के भरोसे के बाद भी क्यों जारी है डॉक्टरों की हड़ताल ?


सवाल है जब सरकार ने डॉक्टरों की लगभग सभी मांगे मान ली हैं, तो अब हड़ताल क्यों ? मरीजों के बारे में क्यों नहीं सोच रहे डॉक्टर? जब डॉक्टर ही कामकाज रोक देंगे तो कौन करेगा मरीजों का इलाज?अच्छी बात ये है कि सरकार से मिले आश्वासन के बाद दिल्ली एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन हड़ताल खत्म करने पर राजी हो गया है. आरडीए ने एक बयान जारी कर कहा कि आज से सभी सेवाएं सामान्य रूप से जारी रहेंगी.


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