दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध को लेकर विश्वास जताया है कि रेखा गुप्ता सरकार सुप्रीम कोर्ट में लोगों की समस्याओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करेगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी की मंशा है कि सभी मैकेनिकली फिट (तकनीकी रूप से सही) वाहनों को न्यायिक राहत दिलाई जाए, जिससे आम नागरिकों को राहत मिल सके.

वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के मात्र दो दिन के भीतर ही सीएम रेखा गुप्ता ने जनता की समस्या को गंभीरता से समझते हुए मामले पर पुनर्विचार की मांग की, जिसके फलस्वरूप इस प्रतिबंध पर आंशिक राहत मिली. उन्होंने इसे बीजेपी की जनहितैषी सोच का प्रमाण बताया.

एक नवंबर तक प्रतिबंध पर रोक

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता पर केंद्र के आयोग ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में समय सीमा पूरी कर चुके वाहनों (ईओएल) में ईंधन भरने पर प्रतिबंध के कार्यान्वयन को एक नवंबर तक स्थगित करने का निर्णय लिया.

ईओएल वाहन 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहन और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन हैं. पहले जारी निर्देशों के अनुसार, ऐसे वाहनों को एक जुलाई से दिल्ली में ईंधन नहीं दिया जाना था, चाहे वे किसी भी राज्य में पंजीकृत हों.

मनजिंदर सिंह सिरसा ने क्या कहा?

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पिछले सप्ताह वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया था. उन्होंने इस कदम को “समय से पूर्व उठाया गया और संभावित रूप से प्रतिकूल कदम बताते हुए परिचालन और ढांचागत चुनौतियों का हवाला दिया था.

सूत्रों ने बताया कि सीएक्यूएम ने एक समीक्षा बैठक में दिल्ली में निर्देशों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का निर्णय लिया. सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में यह अभियान राष्ट्रीय राजधानी से सटे पांच उच्च वाहन घनत्व वाले जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और सोनीपत के साथ इस साल एक नवंबर से शुरू किया जाएगा.

नंबर प्लेट पहचान कैमरे लगाए गए

दिल्ली के ईंधन स्टेशनों ने समय सीमा पूरी कर चुके वाहनों का पता लगाने के लिए स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) कैमरे लगाए हैं. कैमरा ईंधन स्टेशनों में प्रवेश करने वाले वाहनों की नंबर प्लेट को पढ़ता है और तुरंत केंद्रीय ‘वाहन’ डेटाबेस से जांच करता है, जो वाहन की आयु, ईंधन के प्रकार और पंजीकरण जैसे विवरण दिखाता है.

यदि पाया जाता है कि वाहन की समय सीमा पूरी हो चुकी है, तो सिस्टम ईंधन स्टेशन के कर्मचारियों को सचेत करता है कि वे उसमें पुनः ईंधन न भरें. उल्लंघन को दर्ज कर लिया जाता है और प्रवर्तन एजेंसियों को भेज दिया जाता है, जो उसके बाद वाहन को जब्त करने और ‘कबाड़’ करने जैसी कार्रवाई करती हैं.  

हालांकि, इस फैसले पर जनता के असंतोष और आक्रोश के कारण दिल्ली सरकार ने सीएक्यूएम से इस कदम के कार्यान्वयन को रोकने का अनुरोध किया. पांच उच्च घनत्व वाले जिलों में एएनपीआर कैमरों की स्थापना का कार्य 31 अक्टूबर तक पूरा किया जाना है.