Delhi News: दिल्ली विधानसभा विशेष सत्र के दूसरे दिन आप सरकार के पूर्व मंत्री और विधायकों ने आज दिल्ली में चरमराई स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलकर रख दी. सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार में पूर्व मंत्री और वर्तमान में विधायक राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि रखरखाव के अभाव में उनके विधानसभा क्षेत्र में स्थित पांच में दो अस्पताल बंद होने के कगार पर हैं. इसी तरह किरारी से विधायक ऋतुराज गोविंद झा ने कहा कि उनके इलाके में एक भी अस्पताल नहीं हैं. लोग संजय गांधी अस्पताल इलाज कराने के लिए जाते हैं. जबकि संजय गांधी अस्पताल दिल्ली का सबसे ज्यादा खराब अस्पतालों में शुमार है. 


8 लाख की आबादी में नहीं है कोई अस्पताल


दिल्ली विधानसभा में गुरुवार को आप विधायक ऋतुराज गोविंद झा ने बताया कि किरारी विधानसभा क्षेत्र में एक भी ढंग का सरकारी अस्पताल नहीं है. किरारी क्षेत्र के गरीब लोगों को इलाज कराने के लिए संजय गांधी अस्पताल जाते हैं. संजय गांधी अस्पताल की दिल्ली में सबसे ज्यादा खराब हालत है. खराब हालत इसलिए है कि वहां अस्पताल की क्षमता से 50 गुना ज्यादा मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र की आठ लाख जनता के हितों का ख्याल रखते हुए एक अस्पताल निर्माण की योजना पास कराया. टेंडर पास हुए ढाई साल हो गए, लेकिन अभी तक काम नहीं शुरू हुआ. यह जानना चाहता हूं कि अभी तक अस्पताल का काम शुरू क्यों नहीं हुआ? आखिर समस्या क्या है? 


2 साल से डायरेक्टर के बिना चल रहा अस्पताल


आप सरकार में मंत्री रहे और वर्तमान में विधायक राजेंद्र पाल गौतम ने भी अपने क्षेत्र की स्वास्थ्य समस्याओं को उठाते हुए कहा कि मेरी विधानसभा सीमापुरी में पांच सरकारी अस्पताल हैं. इनमें से चार दिल्ली सरकार के अस्पताल हैं. एक अस्पताल एमसीडी का है. दिल्ली सरकार के दो अस्पताल दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट और राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल गवर्निंग बॉडी द्वारा चलाए जाते हैं. गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन मुख्य सचिव हैं. पहले कैंसर इंस्टिच्यूट में हजारों लोग इलाज के लिए हर दिन आते थे. दुर्भाग्य की बात है कि अब दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में मशीनें तक बंद हो गईं हैं. कोई टेस्ट भी नहीं हो पा रहा है. मशीनों का एनुअल मेंटेनेंस नहीं हो पाया और बर्बाद हो गईं. दोनों ही अस्पतालों में लंबे समय से कोई स्थायी डायरेक्टर नहीं हैं. 


डॉक्टरों का समय पर नहीं मिलते वेतन


राजेंद्र पाल गौतम ने आगे कहा कि राजीव गांधी अस्पताल में लंबे समय से कोई अकाउंट फसर नहीं है. मशीनों का एनुअल मेंटेनेंस नहीं हो पाया और बर्बाद हो गईं. मेरा सदन से निवेदन है कि इसका रिकॉर्ड मंगाया जाए कि पिछले कुछ सालों में कितने डॉक्टर अस्पताल छोड़कर चले गए. डॉक्टरों को ठेके पर रखा जाता है और समय पर वेतन भी नहीं मिलता. दो दो साल से बिल क्लियर नहीं हो रहे. यह नहीं कहूंगा कि मुख्य सचिव काबिल नहीं हैं, लेकिन जिम्मेदारी तो उन्हीं की है.


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