लुटियंस दिल्ली का प्रतिष्ठित कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया इस समय राजनीतिक हलचल के केंद्र में है. 12 अगस्त 2025 को होने वाले क्लब के सचिव पद के चुनाव में इस बार मुकाबला दो बीजेपी दिग्गज नेताओं राजीव प्रताप रूडी और संजीव कुमार बलियान के बीच है. मतदान सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक होगा, जबकि मतगणना शाम 5 बजे से शुरू होगी और देर शाम तक परिणाम घोषित किए जाएंगे.
यह चुनाव सिर्फ एक क्लब पद का नहीं, बल्कि बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं के बीच प्रतिष्ठा का भी चुनाव बना हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, रूडी को पार्टी के “दिल्ली-लुटियंस” खेमे का समर्थन है, जबकि बलियान को “यूपी-पश्चिमी” खेमे का. जातीय समीकरण और क्षेत्रीय राजनीति भी इस टक्कर को और दिलचस्प बना रही है.
इस चुनाव की खास बात यह है कि लगभग 1200 सांसद और पूर्व सांसद मतदाता हैं, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे जैसे कई बड़े नेता शामिल हैं. 12 अगस्त को सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा और शाम 5 बजे से मतगणना शुरू होगी.
चुनाव क्यों है खास?
1. प्रतिष्ठा बनाम प्रबंधन कौशल- सचिव पद सिर्फ एक एडमिनिस्ट्रेटिव जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह क्लब की पहचान, उसके आयोजनों की गुणवत्ता और नेटवर्किंग के दायरे को तय करता है. यहां बैठने वाला व्यक्ति देश की राजनीति के कई अनौपचारिक संवादों का केंद्र बन जाता है.
2. पुराना अनुभव बनाम नई ऊर्जा- इस बार चुनाव में ऐसे उम्मीदवार भी हैं जिनका संसदीय अनुभव तो पुराना है, लेकिन क्लब के प्रशासन में यह उनकी पहली चुनौती है. दूसरी ओर, अनुभवी उम्मीदवार अपने लंबे नेटवर्क और पुराने आयोजनों की सफलता को अपनी ताकत बना रहे हैं.
3. दिल्ली की पावर डायरी में अहम जगह- क्लब के कार्यक्रमों में नीति-निर्माता, पत्रकार, राजनयिक और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ आते हैं. यहां का सचिव इस ‘पावर नेटवर्क’ के संचालन में केंद्रीय भूमिका निभाता है.
4. राजनीति से ऊपर सामाजिक जुड़ाव- भले ही सदस्यता राजनीतिक पृष्ठभूमि से आती है, लेकिन क्लब में खेल, संस्कृति, साहित्य और सामाजिक मुद्दों पर भी बड़े आयोजन होते हैं. इस चुनाव का परिणाम तय करेगा कि आने वाले वर्षों में इन गतिविधियों की प्राथमिकताएं कैसी रहेंगी.
5. तेज-तर्रार चुनावी कैंपेन- उम्मीदवार पिछले कुछ हफ्तों से व्यक्तिगत मुलाकातें, डिनर मीटिंग्स और फोन कॉल्स के जरिए समर्थन जुटाने में लगे हैं. यहां किसी पार्टी का चुनाव चिह्न नहीं, बल्कि व्यक्तिगत छवि और रिश्ते जीत दिलाते हैं.
क्लब के गलियारों में इस समय पोस्टर नहीं, बल्कि ‘कप चाय पर बातचीत’ और ‘डिनर डिप्लोमेसी’ के जरिए समर्थन जुटाने का सिलसिला जारी है. वरिष्ठ सदस्य कहते हैं कि यहां का चुनाव “रिश्तों और भरोसे” का मुकाबला होता है, जहां हर वोट निजी जुड़ाव से निकलता है. इसी वजह से सचिव पद के दोनों ही उम्मीदवार संसद कैंटीन से लेकर तमाम जगहों पर औपचारिक और अनौपचारिक बैठक कर खुद के लिए वोट जुगाड़ करने की कोशिश में लगे हुए हैं.
12 अगस्त की शाम नतीजों के साथ यह तय हो जाएगा कि आने वाले समय में कांस्टीट्यूशन क्लब का चेहरा कौन होगा वह जो परंपरा को बरकरार रखेगा, या वह जो नए प्रयोगों के साथ क्लब की पहचान को और व्यापक बनाएगा.