Praveen Khandelwal: पाकिस्तान और उसके सहयोगी देशों तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ देशभर में उभरते आक्रोश के बीच, ज्योति मल्होत्रा जासूसी प्रकरण में चीजे सामने आ रही है वह कई सवाल खड़े कर रहीं है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी राज्य सभा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि कुछ यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर द्वारा डिजिटल मंचों का दुरुपयोग बेहद खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है.
उनका कहना है कि, जो मंच रचनात्मकता और जनसंवाद के लिए थे, वे अब कई बार प्रचार, गलत जानकारी, लक्षित उत्पीड़न और राजनीतिक एजेंडा थोपने के उपकरण बनते जा रहे हैं और यह सब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हो रहा है. कोई इन्फ्लुएंसर्स पर खड़े किए सवालप्रवीण खंडेलवाल में इस मामले के बाद हाल में हुई कुछ घटनाओं का ज़िकरा करते हुए कहा है कि यह कोई पहला मामला नहीं है. हाल के वर्षों में डिजिटल क्रिएटर्स से जुड़े कई विवाद सामने आए हैं जिन्होंने राष्ट्रीय बहस और कानूनी हस्तक्षेप को जन्म दिया है. उन्होंने एल्विश यादव से जुड़ा – सांप का ज़हर पार्टी केस में गिरफ्तारी का ज़िक्र किया. साथ ही उन्होंने संदीप माहेश्वरी बनाम विवेक बिंद्रा विवाद में व्यापारिक नैतिकता पर सवाल, कैरी मिनाटी बनाम टिकटॉक एपिसोड में विषाक्त ऑनलाइन वातावरण को बढ़ावा,गौरव तनेजा (फ्लाइंग बीस्ट) का ट्रेन रोककर सार्वजनिक संकट उत्पन्न करना करने मामले गिनाए.
खंडेलवाल ने सवाल उठाया कि, क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, या शोषण की स्वतंत्रता? या इससे भी बड़ा खतरा – क्या यह राष्ट्र की सुरक्षा से खिलवाड़ करने की आज़ादी है, जैसा कि ज्योति मल्होत्रा मामले में देखा गया? नियामक ढांचे की मांगउन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक सुस्पष्ट और बाध्यकारी नियामक ढांचा तैयार करना अब समय की आवश्यकता है. इस ढांचे में निम्नलिखित प्रावधान शामिल होने चाहिए जिसमें, • ब्रांड प्रमोशन, पेड कंटेंट और राजनीतिक संबंधों का अनिवार्य प्रकटीकरण, झूठी जानकारी या उत्पीड़न के मामलों में शिकायत निवारण प्रणाली, प्लेटफॉर्म की जवाबदेही, जो बार-बार नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई करें. राष्ट्रविरोधी, मानहानिकारक या समाज विरोधी गतिविधियों पर स्पष्ट रोक.खंडेलवाल ने कहा कि जिन कंटेंट क्रिएटर्स ने करोड़ों फॉलोअर्स के माध्यम से प्रभाव स्थापित किया है, उन्हें नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करना होगा. खंडेलवाल ने कहा, स्वतंत्रता का अर्थ कुछ भी कहने का अधिकार नहीं, बल्कि सच बोलने, गरिमा बनाए रखने और राष्ट्रहित की रक्षा करने की जिम्मेदारी है. उनके मुताबिक कोई भी व्यक्ति या मंच कानून और मर्यादा से ऊपर नहीं हो सकता विशेषकर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक समरसता की हो.
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