Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार आक्रमक होती नजर आ रही है. कुछ महीने पहले ही गृहमंत्री अमित शाह के बस्तर दौरे के बाद नक्सल प्रभावित इलाकों में न सिर्फ अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. बल्कि जवानों के लिए अत्याधुनिक हथियारों के साथ संसाधन भी बढ़ाए गए हैं. साथ ही कोर एरिया में बने पुलिस कैंप में अब ऐसे व्हीकल का इस्तेमाल किया जा रहा है जो आने वाले सालों में नक्सलियों के लिए काफी घातक साबित होने वाले है. 


15 जवानों की इस व्हीकल से बची थी जान 
हालांकि यह व्हीकल कुछ महीने पहले ही बस्तर में तैनात किए गए है. लेकिन बीते 30 जनवरी को टेकलगुड़ेम में हुए नक्सली हमले के दौरान यह व्हीकल नक्सलियों के लिए काफी घातक साबित हुए और करीब 15 जवानों की इस व्हीकल से जान भी बची. दरअसल पुलवामा के बाद बस्तर में व्हील्ड आर्मर्ड एम्फीबियस प्लेटफॉर्म व्हीकल की तैनाती की गई है. बस्तर संभाग के खासकर सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले में इस व्हीकल का इस्तेमाल जवान कर रहे हैं. इस व्हीकल को बेहद एडवांस टेक्नोलॉजी और फीचर्स के साथ डिजाइन किया गया है. बस्तर के दुर्गम भौगोलिक हालातो में इसका इस्तेमाल करना फोर्स के लिए काफी मददगार साबित होगा. बताया जा रहा है कि यह व्हीकल पूरी तरह से माइन प्रोटेक्टेड है.विस्फोटो से इसे नुकसान नहीं पहुंचता है, साथ ही बारूदी सुरंग का भी इसपर कोई असर नहीं होता, यह व्हीकल पूरी तरह से बुलेट प्रूफ और ब्लास्ट प्रूफ है.


व्हीकल के अंदर रिमोट कंट्रोल से ऑपरेट होते है हथियार
दरअसल, बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादियों का सबसे घातक हथियार आईईडी होता है. आईईडी की मदद से नक्सली बारूदी सुरंग बनाकर और जमीन में आईईडी प्लांट कर ब्लास्ट करते है.  पिछले 4 दशकों से नक्सलियों के इस IED ब्लास्ट से सैकड़ो जवानों की जान गई है.  जवानो के अंदरूनी इलाक़ो में गश्त पर निकलने के दौरान उनके वाहनों में ब्लास्ट करना, साथ ही रोड ओपनिंग पार्टी के दौरान प्रेशर IED लगाकर ब्लास्ट करना, इस तरह की विस्फोटो में कई जवानों की जान चली गई है.हालांकि नक्सलियों के IED को खोज निकालने में BDS ( बम निरोधक दस्ता) की टीम भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. लेकिन अब नक्सलियों के मांद में घुसने के लिए पुलवामा के बाद बस्तर में व्हिलड आर्म्ड एम्फिबियस व्हीकल की तैनाती की गई है. यह व्हीकल कई टन वजनी है, और बस्तर के दुर्गम इलाक़ो में आसानी से और स्पीड से पहुंच सकते है.,खास बात यह है कि इस व्हीकल के अंदर ही 6 LMG ( लाईट मशीन गन) और ग्रनेड लॉन्चर मशीन लगे हुए हैं. जो रिमोट कंट्रोल वेपन्स स्टेशन है और रिमोट की एक बटन दबाते ही पूरे 6 तरफ से फायर कर सकती है.


व्हीकल एडवांस टेक्नोलॉजी और फीचर्स से डिजाइन 
 हालांकि इसे मैन्युअल भी छह जवानों की मदद से चलाया जा सकता है. इस व्हीकल की खास बात यह भी है कि इसे एडवांस टेक्नोलॉजी और फीचर्स के साथ डिजाइन किया गया है. दलदली क्षेत्र और तालाबों में भी तेजी के साथ यह व्हीकल काम कर सकता है. बीती 30 जनवरी को टैकलगुड़ेम में हुए नक्सली हमले में नक्सलियों के एंबुश को तोड़ने में इस व्हीकल ने बड़ी भूमिका निभाई है. जवानों के मुताबिक जब तीनों और से नक्सलियों ने जवानों को घेर रखा था. ऐसे समय में इस व्हीकल से नक्सलियों पर फायरिंग कर न सिर्फ उन्हें खदेड़ा बल्कि इससे नक्सलियो के एम्बुश में बुरी तरह फंसे 15 जवानों की जान भी बची.


नक्सलियों के घातक साबित होगी यह व्हीकल
खास बात यह है कि यह व्हील्ड आर्मर्ड एम्फीबियस प्लेटफॉर्म व्हीकल पूरी तरह माइन प्रोटेक्टेड है. विस्फोट से इसे नुकसान नहीं पहुंचता, साथ ही बारूदी सुरंग का भी इस पर कोई असर नहीं होता. व्हीकल पूरी तरह से बुलेट प्रूफ और ब्लास्टप्रूफ है. जमीन के साथ यह व्हीकल पानी में भी तैरने में सक्षम है, इस व्हीकल में ड्राइवर समेत 11 जवान हथियारों के साथ सवार हो सकते है. उच्च सुरक्षा फीचरों वाला यह वाहन अधिक ऊंचाई वाले  अभियानों के लिए बहुत उपयुक्त और कारगर है. यही वजह है इस व्हीकल को अब बस्तर में जवानों के साथ तैनात किया गया है. बताया जा रहा है कि इस साल बस्तर संभाग के कोर इलाकों में 40 नए पुलिस कैंप प्रस्तावित है. ऐसे में इन सभी जगहो में इसी व्हीकल का इस्तेमाल कर नक्सलियों के अभेद किलों को तोड़ा जाएगा. 


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