Surajpur Weather Update: गर्मी शुरू होते ही सूरजपुर में देसी फ्रिज यानी मिट्टी के मटकों की मांग बढ़ गयी है. साप्ताहिक बाजार में अलग-अलग वेरायटी के मटके बिक रहे हैं. कीमत ज्यादा होने के बावजूद लोग मटके लेना पसंद कर रहे हैं. इस बार मिट्टी के मटकों का दाम बेतहाशा बढ़ गया है. प्यास बुझाने के लिए लोगों का देसी फ्रिज पर भरोसा आज भी बरकरार है.


20 लीटर क्षमता वाले मटके की कीमत 180 रुपये है. इसी प्रकार 15 लीटर के मटके की कीमत 150 रुपये, 5 लीटर क्षमता वाले मटके की कीमत 80 रुपये, 10 लीटर क्षमता वाला मटका 120 रुपये में बेचा जा रहा है.


सूरजपुर में गर्मी की दस्तक


मटका निमार्ता एवं विक्रेता लक्षन प्रजापति ने बताया कि वर्तमान पीढ़ी के बच्चों की घड़ा और मिट्टी बर्तनों में रूचि नहीं है. आजकल के बच्चे मेहनत से दूर भागते हैं. आने वाले दिनों में हो सकता है मिट्टी का मटका बाजार से विलुप्ति के कगार पर पहुंच जाये. उन्होंने आगे बताया कि कीमत बढ़ने का कारण ईंधन की कमी भी है.


आग में पकाने के बाद घड़े को बाजार ले जानेवाले पीछे हटने लगते हैं. महंगा होने का तीसरा कारण परिवहन की लागत में बढ़ोतरी है. वाहन मालिक मनमाने ढंग से किराया लेते हैं.


बढ़ी 'देसी फ्रिज' की मांग


चौथा कारण परिवहन करने के दौरान घड़े फूट जाते हैं. इसलिए मिट्टी के मटकों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. खरीददार मदन शर्मा मिट्टी के मटके में पानी पीने का आनंद बताते हैं. उनका कहना है कि घड़े का पानी पीकर मन को तृप्ति मिलती है. पानी पीने के दौरान देसी मिट्टी की सुगंध आती है. घड़े का जल पीने से सर्दी, खांसी जैसी बीमारी नहीं होती है.


फ्रिज का पानी पीने से गला खराब हो जाता है. सर्द गर्म की बीमारी पकड़ती है. घड़ा का पानी फ्रिज के मुकाबले 100 प्रतिशत बेहतर होता है. घड़े का पानी बुजुर्ग, बच्चे सहित हर उम्र के व्यक्ति को पिलाया जा सकता है. फ्रिज का पानी पीने से तबीयत खराब हो जाने की आशंका बनी रहती है. बहरहाल देसी फ्रिज घड़ा की मांग बढ़ गई है. 


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