Jagdalpur Municipal Corporation: छत्तीसगढ़ के जगदलपुर नगर निगम में पिछले कई दिनों से अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच चले घमासान पर अब विराम लग चुका है, दरअसल सोमवार (11 मार्च) को बीजेपी के द्वारा बुलाए गए निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को निगम के सदन में रखा जाना था, लेकिन कांग्रेस के पार्षद दल में एक भी पार्षद अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ.



नियम के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव में कम से कम 25 वोट पड़ने थे, लेकिन बीजेपी के पास महज 19 ही पार्षद थे, जिसके चलते निगम कमिश्नर ने बीजेपी के इस अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया.


बीजेपी के पार्षदों को उम्मीद थी कि कांग्रेस की निगम अध्यक्ष कविता साहू के खिलाफ जरूर क्रॉस वोटिंग होगी, लेकिन सभी कांग्रेसी पार्षदों को कांग्रेस भवन में नजर बंद कर दिया गया, अविश्वास प्रस्ताव को सदन में रखने के लिए जो समय निर्धारित किया गया था उस समय पर एक भी कांग्रेसी पार्षद नगर निगम नहीं पहुंचा और समय निकल जाने से निगम कमिश्नर ने बीजेपी के इस अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया.

पार्षदों को बड़े नेताओं ने किया नजरबंद
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन के बाद पूरे प्रदेश भर में नगर पालिका, नगर निगम और जनपद पंचायत में कांग्रेसी जनपद अध्यक्ष, नगर पालिका अध्यक्ष, कांग्रेसी महापौर और नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है. बस्तर जिले के बकावंड जनपद पंचायत में बकायदा बीजेपी को कांग्रेसी जनपद पंचायत के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में सफलता भी मिली, और कांग्रेसी जनपद अध्यक्ष की कुर्सी भी छीन ली, लेकिन जगदलपुर नगर निगम में निगम अध्यक्ष कविता साहू के खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव को बीजेपी इसे सदन में रखने में कामयाब नहीं हो पाई.

कांग्रेस के सभी पार्षदों को नजरबंद कर दिया गया
बीजेपी के पार्षदों को उम्मीद थी कि अविश्वास प्रस्ताव में जरूर कांग्रेसी पार्षद पहुंचेंगे और निगम अध्यक्ष कविता साहू के खिलाफ क्रॉस वोटिंग करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, सुबह से ही नगर निगम में गहमागहमी माहौल के बीच कांग्रेस के सभी पार्षदों को कांग्रेस भवन में नजरबंद कर दिया गया.


नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के प्रवक्ता संजय पांडे ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के अंदर गुटबाजी थी और क्रॉस वोटिंग के डर से कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी पार्षदों को पार्टी कार्यालय में बंद कर दिया था. इसलिए वहां वोटिंग की प्रक्रिया में नहीं पहुंच पाए, उन्हें डर था कि जरूर कांग्रेसी पार्षदों की ओर से क्रॉस वोटिंग होगा और नगर निगम की अध्यक्ष कविता साहू की कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी, इस वजह से कांग्रेस के बड़े नेताओं ने सभी पार्षदों को राजीव भवन में बंद कर दिया.

आयुक्त के खिलाफ कोर्ट जाएगी कांग्रेस
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के पर्यवेक्षक और रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने आरोप लगाया है कि प्रशासन ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर किसी भी प्रकार का शेड्यूल जारी नहीं किया था, उन्होंने कहा कि बीजेपी के दबाव में प्रशासन ने अविश्वास प्रस्ताव की तारीख तय कर दी थी और बस्तर कलेक्टर के साथ निगम आयुक्त बीजेपी के लिए एक एजेंट की तरह काम कर रहे थे, दोनों ही अधिकारियों के खिलाफ अब कांग्रेस कोर्ट भी जाने वाली है.

आम बजट नहीं हो पाया पेश
गौरतलब है कि नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बीते दो महीने से बीजेपी और कांग्रेस के बीच जमकर घमासान चल रहा था और बीजेपी पार्षद तय तारीख के अनुसार 11 मार्च का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, लेकिन निगम अध्यक्ष के खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेसी पार्षदों के निगम दफ्तर नहीं पहुंचने से अविश्वास प्रस्ताव को  सदन में ही नहीं रखा जा सका, दरअसल जगदलपुर नगर निगम के अंतर्गत 48 वार्ड हैं जिसमें 19 वार्ड में बीजेपी और 29 वार्ड में कांग्रेस पार्षद काबिज है.


निगम अध्यक्ष के खिलाफ 25 वोट पड़ने थे, लेकिन इस अविश्वास प्रस्ताव में एक भी कांग्रेसी पार्षद नहीं पहुंचा, इधर इस घमासान के बीच जगदलपुर निगम में इसी दिन सामान्य सभा भी आयोजित की गई थी, जहां जगदलपुर की कांग्रेसी महापौर सफीरा साहू को आम बजट पेश करना था, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के चलते महापौर और निगम अध्यक्ष और कांग्रेस के पार्षद दल ने नगर निगम से दूरी बनाना ही बेहतर समझा.


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