CISF Constable Recruitment Case: दुर्ग के उतई पुलिस ने सीआईएसएफ आरक्षक भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी के मामले में दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी करने के मामले में पहले ही 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. पुलिस ने अब तक इस मामले में आठ लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी है. मुख्य आरोपी समेत पांच आरोपी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.


परीक्षा में शातिराना तरीके से होते थे शामिल


पाटन एसडीओपी देवांश राठौर ने बताया कि इस मामले में पहले ही फिजिकल टेस्ट देने आए 6 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के बाद इस मामले में पुलिस ने उत्तर प्रदेश के आगरा से दो और आरोपियों  को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपियों के नाम सत्यपाल सिंह और नत्थीलाल वर्मा हैं. पकड़े गए ये दोनों आरोपी इस गिरोह में अलग-अलग काम करते थे.


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पुलिस लगातार कर रही है पूछताछ


आरोपी सत्यपाल सिंह सीआईएसएफ आरक्षक भर्ती परीक्षा में अलग-अलग तारीख में चार अभ्यर्थियों की जगह खुद ही बैठकर लिखित परीक्षा में शामिल हुआ था. वहीं नत्थीलाल वर्मा आरक्षक भर्ती के लिए सभी अभ्यर्थियों से 2 लाख लेकर आता था. पुलिस ने इस मामले में पकड़े गए आरोपियों से लगातार पूछताछ कर रही है. इस मामले का मुख्य आरोपी डीएस तोमर है जो मध्य प्रदेश के भिंड में एसएफ की 17वी बटालियन में आरक्षक पद पर पदस्थ है. ये छुट्टी लेकर फरार है. वहीं 4 अन्य आरोपी फरार हैं जिनकी पुलिस पतासाजी में जुटी हुई है.


ऐसे हुआ था फर्जीवाड़ा का खुलासा


दुर्ग उतई के केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के ट्रेनिंग में फिजिकल परीक्षा के दौरान परीक्षा में शामिल होने आए अभ्यर्थियों के परिचय पत्र और थंब इंप्रेशन के समय 4 अभ्यर्थियों का बायोमैट्रिक अटेंडेंस में अंगूठे के निशान मेल नहीं खाने पर मामले का खुलासा हुआ था. जिसके बाद सीआईएसएफ के अधिकारियों की शिकायत पर उतई पुलिस ने गिरोह के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. आरोपियों में एक मध्य प्रदेश का रहने वाला है. जबकि पांच आरोपी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. 


सीआईएसएफ भर्ती में पैसों के बदले भर्ती का खेल


यह गैंग बड़े शातिराना ढंग से धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम देते थे. पुलिस ने बताया कि सीआईएसएफ आरक्षक भर्ती के लिए आरोपी सत्यपाल लिखित परीक्षा देता था. जिसका पूरा फर्जी दस्तावेज डीएस तोमर तैयार करके देता था. नत्थीलाल बेरोजगारों को नौकरी लगाने के लिए लेकर आता था. वो फिजिकल टेस्ट के लिए फर्जी अभ्यर्थी भी लेकर आता था. जिसके एवज में लाखों रुपए लेता था. इस गैंग का मुख्य सरगना डीएस तोमर ने सीआईएसफ में बिना परीक्षा दिए नौकरी लगाने के लिए एक व्यक्ति से पांच लाख लिया करता था.


चार लोगों से लिए थे इतने रुपये


फर्जी तरीके से लिखित परीक्षा में अपने किसी व्यक्ति को एक लाख देकर लिखित परीक्षा में बैठाता था. इस मामले में दुर्गेश सिंह तोमर ने 4 लोगों से नौकरी लगाने के लिए 20 लाख रुपए लिए थे. सीआईएसएफ की लिखित परीक्षा में शामिल होने के लिए सत्यपाल एक अभ्यार्थी का एग्जाम देने के लिए एक लाख देता था.


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