Sarguja News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सरगुजा (Surguja) की पहाड़ियों में बसे मैनपाट (Mainpat) को राज्य का शिमला कहा जाता है. यहां के खूबसूरत जंगल, पहाड़ और झरने हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. मैनपाट में रहने वाले लोग खुद पर गर्व करते हैं कि वे इस प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण जगह पर रहते हैं, लेकिन इस इलाके में काफी लंबे समय से जंगली हाथियों की समस्या बनी हुई है, जो दहशत का कारण है. वर्तमान में हालत ये है कि मैनपाट के आस-पास क्षेत्रों में बसे गांव के लोग पेड़ पर मचान बनाकर हाथियों की निगरानी कर रहे हैं और रात भर जागकर अपने परिवार और घरों की सुरक्षा कर रहे हैं.

 

दरअसल सरगुजा जिले का मैनपाट वनों और पहाड़ों से आच्छादित है. मैनपाट से कुछ दूरी पर रायगढ़ जिले का बॉर्डर है. सरगुजा का मैनपाट वनपरिक्षेत्र और रायगढ़ का कापू वनपरिक्षेत्र लगा हुआ है. यहां अक्सर हाथियों की आमद लगी रहती है. हाथियों का दल कभी रायगढ़ तो कभी सरगुजा के जंगल में विचरण करते हैं. गर्मी का मौसम शुरू हुआ है, तब से मैनपाट इलाके में हाथियों का आतंक कुछ कम हुआ, लेकिन इससे पहले सर्दी के मौसम में हाथियों ने यहां के रहवासियों का जीना मुश्किल कर दिया था. आए दिन घरों को तोड़कर कई बस्तियां उजाड़कर रख दी थीं.

 

क्षेत्र में घूम रहा है 15 हाथियों का दल

 

ग्रामीणों को स्कूल, सामुदायिक भवन और आंगनबाड़ी में रात गुजारनी पड़ती थी. वहीं वर्तमान में हाथियों का दल रायगढ़ की ओर से आकर मैनपाट के मेहता पॉइंट के निचले इलाके में विचरण कर रहा है. वन विभाग ओर से बताया गया कि 15 हाथियों का दल है. आपको बता दें कि मैनपाट पहाड़ी इलाका है. पहाड़ियों में ही छोटी-छोटी बस्तियां हैं, जिसमें ज्यादातर कोरवा जनजाति परिवार के लोग निवास करते हैं. ऐसे में हाथियों के दल से उन्हें खतरा है. इसकी संभावना को देखते हुए ग्रामीण पेड़ पर मचान बनाकर हाथियों की निगरानी कर रहे हैं.

 

सीतापुर और लखनपुर तक पहुंच जाते हैं हाथी

 

गौरतलब है की हाथियों का दल वर्तमान में सरगुजा और रायगढ़ की सरहद पर मैनपाट की तराई में जमा हुआ है. मैनपाट में जो पहाड़ और जंगल है, वो सीतापुर और लखनपुर परिक्षेत्र तक फैला हुआ है. ऐसे में हाथियों का दल विचरण करते हुए सीतापुर और लखनपुर तक पहुंच जाता है. मैनपाट वनपरिक्षेत्र के रेंजर पीपी चौबे ने बताया कि हाथी अभी रायगढ़ के कापू रेंज में रहते हैं, लेकिन कभी-कभी रात के वक्त मैनपाट की ओर बढ़ जाते हैं. हाथी जब गांव की ओर बढ़ते हैं तो ग्रामीणों को सूचना दे दी जाती है. गजराज वाहन ग्रामीणों के साथ मौजूद रहते हैं, ताकि किसी प्रकार का कोई नुकसान और जनहानि न होने पाए.

 

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