Bijapur News: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा और बीजापुर जिले के सरहद पर मौजूद एक पुलिस कैम्प में सप्ताह भर पहले हुई पुलिस-नक्सली मुठभेड़ का बुधवार को खुलासा हुआ है. बताया जा रहा है कि घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मौजूद धर्मावरम पुलिस कैंप को लूटने के नियत से 400 से ज्यादा नक्सलियों ने 16 जनवरी की रात धर्मावरम पुलिस कैंप पर धावा बोला था और जमकर देसी बीजीएल (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) भी दागे थे और जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग भी की. हालांकि जवानों ने भी तुरंत मोर्चा संभालते हुए नक्सलियों के गोलीबारी का मुंह तोड़ जवाब दिया और तीन नक्सलियों को मार गिराया.


नक्सलियों ने खुद अपने प्रेस नोट में इस हमले का जिक्र करते हुए उनके तीन साथी के मारे जाने का खुलासा किया है साथ ही पुलिस के भी जवानों के घायल होने का दावा किया है. खास बात यह है कि नक्सली पहली बार खास तरह की पोशाक पहनकर कैंप पर हमला करने पहुँचे हुए थे, ताकि कैम्प में मौजूद जवान उन्हें पहचान नहीं पाए. नक्सली घांस और झाड़ियो से बनी पोशाक पहनकर जवानों को चकमा देते हुए पुलिस कैंप के अंदर दाखिल होना चाहते थे लेकिन जवानों ने जवाबी फायरिंग में नक्सलियों को खदेड़ने में कामयाब हो गए. जवानों की मुस्तैदी से नक्सली अपने नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए. जवानों ने घटना के कुछ दिन बाद एक वीडियो जारी कर इस मुठभेड़ का खुलासा किया है. जवानों के द्वारा जारी वीडियो में नक्सलियों द्वारा BGL से हमला करने के बाद उनके सभी खोखे को जवानों ने इकट्ठा किया है. बताया जा रहा है कि 300 से ज्यादा देसी बीजीएल के खोखे जवानों ने कैंप के आसपास और अंदर से बरामद किए हैं. अच्छी बात यह रही कि इस हमले में जवानों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है, लेकिन नक्सलियों ने कई जवानों के घायल होने का दावा किया है.


400 से ज्यादा नक्सलियों ने पुलिस कैंप में बोला था हमला


सुकमा एसपी किरण चव्हाण से मिली जानकारी के मुताबिक बीते 16 जनवरी को सुकमा जिले की सरहद पर बीजापुर जिले के धर्मावरम सीआरपीएफ कैंप में नक्सलियों ने हमला बोला था. जानकारी मिली कि 400 से ज्यादा नक्सली पूरे कैंप को लूटने की नीयत से धावा बोल दिए थे. इस हमले के लिए नक्सलियों ने खास तरह के रणनीति तैयार की थी. कुछ नक्सली जवानों को चकमा देने के लिए जंगली घास और झाड़ियो से तैयार पोशाक पहन कर पहुंचे थे. इस पोशाक के इस्तेमाल के पीछे नक्सलियों की रणनीति यही थी कि कैंप के बेहद करीब पहुंचने तक सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों को पहचान ना पाए. इधर कैंप के चारों तरफ लगाए गए कांटेदार स्टील के फेंसिंग तार को भी काटने के लिए नक्सली अपने साथ कटर भी लाये हुए थे. वहीं चिंतावागु और पामेड़ पुलिस कैंप पर भी नक्सली इस दौरान फायरिंग करते रहे ताकि धर्मावरम कैंप को बैकअप फोर्स की मदद ना मिल सके.


नक्सलियों ने रास्तों को बाधित करने के लिए पेड़ काटकर गिरा दिए थे. नक्सलियों ने सैकड़ों की संख्या में देसी बीजीएल ग्रेनेड से भी हमला किया. हालांकि जवानों ने नक्सलियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया था. नक्सलियो द्वारा जारी प्रेस नोट में इस मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए थे, और कुछ जवान घायल भी हुए है. बताया जा रहा है कि यहां हमला कोई नक्सलियों का आम हमला नहीं था, पूरी तैयारी के साथ उन्होंने बीते 16 जनवरी की रात कैंप पर हमला बोला था और वह लगातार फायरिंग करने के साथ ही एक के बाद एक देसी बीजीएल ग्रेनेड भी दाग रहे थे. नक्सलियों ने कैंप में कई बार घुसने का प्रयास भी किया ,लेकिन सामने मोर्चे पर तैनात कोबरा 204 बटालियन और सीआरपीएफ 153 वीं भी बटालियन के जवानों ने उन्हें मुहतोड़ जवाब दिया और नक्सलियों के लड़ाकू को आगे आने का मौका ही नहीं दिया.


तीन नक्सलियों के मारे जाने का किया है खुलासा


सुकमा एसपी किरण चह्वाण ने बताया कि जंगली घास और झाड़ियां से तैयार पोशाक जिसे नक्सलियों ने पहनकर हमला बोला था. मौके से नक्सलियों को खदेड़ने के बाद मुठभेड़ के दूसरे दिन इलाके की तलाशी में फोर्स को इस तरह के पोशाक के साथ साथ काफी सारा सामान भी मिला है. फोर्स पर हमले के दौरान नक्सलियों के द्वारा इस तरह के पोशाक का इस्तेमाल का यह संभवत पहला मामला है. उन्होंने बताया कि नक्सलियों ने धर्मावरम कैंप तक दूसरे पुलिस कैंप से मदद पहुंचने से इसे रोकने के लिए कैंप तक आने वाले मुख्य मार्ग पर कई जगहों पर पेड़ काटकर गिरा दिए थे और जगह-जगह आईडी भी प्लांट किया था. इस बात का खुलासा खुद नक्सली संगठन के मध्य रीजनल ब्यूरो प्रवक्ता प्रताप ने प्रेस नोट के माध्यम से किया है. प्रताप ने अपने प्रेस नोट में यह भी दावा किया है कि नक्सलियों के इस हमले में काफी संख्या में जवान घायल हुए हैं और कुछ जवान मारे भी गए हैं.


हालांकि एसपी का कहना है कि नक्सलियों ने अपने प्रेस नोट पर झूठी जानकारी दी है. उनका कहना है कि जवानों को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है. यह नक्सलियों के प्रचार का हथकंडा है और कुछ नहीं. एसपी ने बताया कि धर्मावरम कैंप में नक्सली और सुरक्षा बल के जवानों के बीच करीब 3 घंटे तक गोलीबारी हुई थी. जवानों को भारी पड़ता देख आखिरकार नक्सली मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए थे. घटना के बाद आसपास सर्चिंग करने पर 3 नक्सलियों के शव बरामद हुए थे. बाद में नक्सलियों के प्रवक्ता समता और अभय ने भी प्रेस नोट जारी कर अपने तीन साथियों के मारे जाने की बात स्वीकार की थी. शवों के साथ-साथ जवानों ने धर्मावरम  कैंप के आसपास 300 से ज्यादा देसी बीपीएल के खोखे भी बरामद किए, साथ ही कुछ जिंदा आईईडी भी बरामद किया.


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