Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली हमेशा से ही देश में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय पर्व स्वंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस का विरोध करते आ रहे हैं. नक्सल संगठन का कहना है कि वह भारत के संविधान को नहीं मानते. इस वजह से 15 अगस्त और 26 जनवरी को काला दिवस के रूप में मनाते हैं. जिस क्षेत्रों में नक्सलियों की मौजूदगी है उस क्षेत्रों के ग्रामीणों को भी इन दोनों राष्ट्रीय पर्व को मनाने से इनकार करने और ग्रामीणों को इसका बहिष्कार करने के लिए उनपर दबाव बनाते हैं.


छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में ऐसे कई नक्सल प्रभावित जिले के ग्रामीण अंचल हैं जहां पिछले दो दशकों से नक्सलियों ने कभी तिरंगा ही नहीं फहराने दिया और उसकी जगह काला झंडा फहराया. सन 1980 से बस्तर में अपनी पैठ जमाकर बैठे नक्सल संगठन को आज 4 दशक पूरे हो गए हैं. पिछले दो दशकों में नक्सली ने खासकर अबूझमाड़ इलाके के साथ-साथ अंदरूनी क्षेत्रों के ग्रामीणों को भी अपने नक्सल विचारधारा में शामिल कर लिया. जिस वजह से नक्सलियों के साथ-साथ ग्रामीण भी इन राष्ट्रीय पर्व को मनाने के लिए बहिष्कार करने लगे. लेकिन पिछले कुछ सालों से बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की तस्वीर बदल रही है और अब ग्रामीण अपने क्षेत्रों में मौजूद स्कूल और पंचायतों में शान से तिरंगा लहरा रहे हैं.


2 दशकों तक इन जगहों पर फहराया काला झंडा


बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सल संगठन बस्तर में अपनी पैठ जमाने के साथ अपनी खोखली विचारधारा से ग्रामीणों को प्रभावित करने लगे और इसका असर यह हुआ कि ग्रामीण देश के राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस का बहिष्कार करने लगे. हालांकि आईजी ने बताया कि नक्सलियों के दबाव की वजह से ही ग्रामीण भी उनके साथ काला झंडा फहराते थे. बस्तर संभाग के अंतर्गत 7 जिले के ऐसे कई गांव हैं जहां नक्सलियों की पैठ मजबूत थी और इन जगहों में पुलिस का पहुंच पाना भी नामुमकिन था.


दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण क्षेत्र के मारडूम, बीजापुर जिले के आवापल्ली तहसील में मौजूद आईपेंटा, लंकापल्ली के अलावा सुकमा जिले के पालामड़गु, कोर्रा पाड़ के साथ ही आधा दर्जन से अधिक ऐसे गांव हैं जहां पिछले दो दशकों से नक्सलियों ने तिरंगा झंडा फहराने नहीं दिया. लेकिन पिछले साल से इन जगहों पर भी अब ग्रामीण तिरंगा लहरा रहे हैं और इसकी मुख्य वजह है बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों की ग्रामीणों तक पहुंच.  पुलिस को नक्सलियों के गढ़ में पहुंचने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और इस दौरान कई जवानों ने अपनी शहादत दी.


20 से अधिक जगहों पर लहराया तिरंगा


दरअसल नक्सली इलाकों में पूरी तरह से पहले ही आईईडी प्लांट कर रखे थे. इस वजह से इन ग्रामीण अंचलों तक पहुंच पाना पुलिस के लिए काफी मुश्किल हुआ करता था. लेकिन जवानों की हिम्मत की वजह से अब बस्तर संभाग जैसे कोर इलाके में पुलिस की टीम पहुंचने के साथ नए पुलिस कैंप की स्थापना भी कर रही है.


इस कैंप की स्थापना के साथ ही पुलिस के जवान वहां मौजूद आसपास के ग्रामीणों का विश्वास भी जीत रहे हैं. जिस वजह से अब इन क्षेत्रों में दो दशकों के बाद ग्रामीणों के बीच जवान राष्ट्रीय पर्व के दौरान शान से तिरंगा लहरा रहे हैं, साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन ग्रामीणों के बीच कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक पिछले 2 सालों में संभाग के 20 से अधिक जगहों पर पुलिस के जवानों ने ग्रामीणों के साथ तिरंगा लहराया जहां कभी नक्सली राष्ट्रीय पर्व के दौरान काला झंडा लहराते थे.


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