Paddy Purchase Time Extended: अब धान खरीदी के लिए मात्र चार दिन का समय शेष है, छत्तीसगढ़ सरकार ने खरीदी के लिए 4 फरवरी तक समय बढ़ा दिया है. धान खरीदी का लक्ष्य भी लगभग पूर्ण हो चुका है, लेकिन धान बेचने वाले किसानों की लाइन कम होने का नाम नहीं ले रही है. धान खरीदी की अंतिम तिथि खत्म होते देख, बड़ी संख्या में किसान अभी भी टोकन के लिए समितियों का चक्कर लगा रहे हैं.


धान खरीदी के अंतिम समय में अपनी उपज बेचने को लेकर किसानों में अफरा-तफरी की स्थिति निर्मित हो गई है. बड़ी संख्या में किसान दो बार अपना धान बेच चुके हैं और तीसरी बार अपनी उपज बेचने टोकन के लिए समितियों का चक्कर लगा रहे हैं. वहीं अब तक एक दाना धान नहीं बेचने वाले किसानों को अंतिम समय में अपनी उपज बेचने का ख्याल आया है. अंतिम समय किसानों में धान बेचने के लिए आई जागरूकता से समिति के कर्मचारी भी हैरान हैं. 


अब तक अपनी उपज बेचने से वंचित किसान धान खरीदी तिथि बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन खरीदी लक्ष्य पूर्ण होने के कारण अधिकारी इसकी संभावना न्यून बता रहे हैं. इस बार समय पर आवश्यकता के अनुरूप वर्षा नहीं होने के कारण धान की फसल विलंब से तैयार हुई. पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण धान की उपज भी कम हुई. विलम्ब से फसल तैयार होने के कारण दिसम्बर महीने के दूसरे सप्ताह से खरीदी में तेजी आई. प्रशासनिक सख्ती के बावजूद इस बार कोचियों की सक्रियता रही. तथा समिति प्रबंधक, किसान और कोचियों की तिकड़ी ने जमकर अवैध धान खपाया. सहकारी समितियों में खरीदी के पूर्व ही भारी मात्रा में धान की कमी और राइस मिलों में परिवहन किए गए धान में मिली भारी कमी से कागजी खरीदी और परिवहन से इंकार नहीं किया जा सकता. धान खरीदी की मात्रा में हुई वृद्धि से भी अवैध धान खपाने वाले तिकड़ी को काफी प्रोत्साहन मिला.


अब अवैध धान खपाना संभव नहीं 


किसानों की मिलीभगत के बिना अब अवैध धान खपाना संभव नहीं है, इसलिए प्रशासनिक कमजोरी समझने के बाद क्षेत्र के किसान भी इसका फायदा उठाने से नहीं चूके. अधिकांश समितियों में धान खरीदी पूरी हो चुकी है. वहीं बड़ी समितियों में अभी भी टोकन के लिए किसानों की लाइन लगी है. सहकारी समिति कल्याणपुर, लटोरी और प्रतापपुर में अंतिम दिन तक की खरीदी के लिए टोकन फुल होने के बावजूद टोकन के लिए सौ से अधिक किसान चक्कर लगा रहे है. समिति की तरफ से ऐसे किसानों की सूची बनाकर खाद्य विभाग से खरीदी क्षमता बढ़ाने की मांग की गई है.


सरगुजा में 7 हजार किसान वंचित


पिछले वर्षों की तुलना में इस बार अधिक किसानों ने धान बेचने के लिए अपना पंजीयन कराया है. पिछले साल एकीकृत सरगुजा के सभी पांच जिलों में 1 लाख 85 हजार 976 किसानों ने अपना पंजीयन कराया था, जो इस साल बढ़कर 2 लाख 7 हजार 243 पहुंच गई है. अब तक सरगुजा के पंजीकृत 7 हजार, बलरामपुर के 6 हजार 633 और सूरजपुर 1 हजार 619 किसान अपनी उपज नहीं बेच पार हैं. कम रकबा होने के कारण प्राय हर साल पंजीयन कराने वाले 7-8 फीसदी किसान अपनी उपज नहीं बेचते हैं. इस बार सूरजपुर के किसानों ने यह रिकार्ड ध्वस्त कर दिया है.


सरगुजा, बलरामपुर में अधिक खरीदी


इस बार खरीदी लक्ष्य की तुलना में सरगुजा और बलरामपुर जिला में अधिक जबकि सूरजपुर में कम धान की खरीदी की गई है. सरगुजा के 47 उपार्जन केन्द्रों में शासन की तरफ से निर्धारित लक्ष्य 28 लाख 81 हजार 340 क्विंटल के विरुद्ध 29 लाख 67 हजार 711 क्विंटल वहीं बलरामपुर में 20 लाख 87 हजार 220 क्विंटल के विरुद्ध 23 लाख 88 हजार 108 क्विंटल जबकि सूरजपुर में खरीदी लक्ष्य 32 लाख 3 हजार 650 क्विंटल के विपरीत 30 लाख 94 हजार 660 क्विंटल धान की खरीदी की गई है. सूरजपुर को छोड़कर एकीकृत सरगुजा के चार जिलों में लक्ष्य से काफी अधिक धान खरीदी होने की उम्मीद है.


अब उठाव की चिंता


धान खरीदी बंद होने के बाद समिति प्रबंधकों को संग्रहित धान की सुरक्षा की बड़ी जिम्मेदारी से जूझना पड़ेगा. समय पर धान का उठाव नहीं होने के कारण सहकारी समितियों को हर साल भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है. वहीं धान में शार्टेज की समस्या आने से समिति प्रबंधकों को प्रशासनिक कार्रवाई का सामना करना पड़ता है. सरगुजा की समितियों में अभी 11 लाख 22 हजार क्विंटल, बलरामपुर में 7 लाख 39 हजार क्विंटल और सूरजपुर में 7 लाख 45 हजार क्विंटल से अधिक धान के उठाव का इंतजार किया जा रहा है.


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