Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के जशपुर (Jashpur) कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल ने वीडियो कॉल के माध्यम से जशपुर विकासखंड ग्राम सारुडीह में चाय की खेती कर रहे किसान राकेश एक्का से चर्चा की. साथ ही चाय की खेती एवं आमदनी के बारे में जानकारी ली. कलेक्टर ने चाय की खेती में अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने के लिए भी प्रेरित किया, जिससे किसानों को रोजगार मिलेगा.किसान राकेश एक्का ने उन्हें बताया कि पहले वह सारुडीह में लगाए गए चाय बगान में समूह के साथ काम करता था. इसके बाद वह चाय की खेती के संबंध में जानकारी लेकर अपने निजी जमीन पर 1.79 एकड़ में चाय का पौधा लगाया. 


इसके बाद में 18 किसानों के साथ मिलकर किसानों की निजी भूमि पर 20 एकड़ में चाय की खेती कर रहें हैं. उन्होंने बताया कि 18 किसानों को चाय खेती के लिए जोड़ा है और 10 महिला स्वास्थ्य समूह की महिलाएं काम कर रही हैं, जिससे पिछले साल उन्होंने दो लाख रुपये कमाया. बता दें कि, विगत तीन सालों से वह अपने निजी जमीन पर चाय की खेती कर रहे हैं. राकेश एक्का ने बताया कि चाय की खेती की जानकारी के लिए फॉरेस्ट विभाग द्वारा सिलीगुड़ी में 6 लोगों को भेजा गया था, जिसमें उसका नाम शामिल था. 


इन फसलों की भी खेती शुरू
राकेश ने बताया कि वन विभाग द्वारा चाय का पौधा दिया गया था और सामग्री रखने के लिए उद्यान विभाग ने सहयोग किया था. दरअसल, जिला प्रशासन के सहयोग से बाला छापर में प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित किया गया है. उन्होंने बताया कि चाय की खेती के लिए उन्हें तकनीकी सलाह समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी जाती है. राकेश एक्का ने चाय की खेती के साथ पपीता और केले की खेती भी शुरू की है. साथ ही इसे भविष्य में बड़े स्तर पर लगाने की उनकी योजना है. बता दें कि, सारूडीह का चाय का बागान पर्वत और जंगलों से सटा हुआ है. यहां अनुपयोगी जमीन में बागान बन जाने से आसपास न सिर्फ हरियाली है बल्कि पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी सारूडीह और जशपुर की पहचान भी काफी ज्यादा बढ़ रही है. चाय के बागान से पानी और मिट्टी का संरक्षण काफी तेजी से हुआ है.



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