Bastar News: छत्तीसगढ़ के  बस्तर में उच्च शिक्षा का बुरा हाल है, साल दर साल परीक्षा परिणामों के मामले में विश्वविद्यालय का प्रदर्शन खराब ही नजर आ रहा है.  इस बार  समय पर तो परीक्षा परिणाम घोषित किए गए हैं,  लेकिन विश्व विद्यालय और इसके अंतर्गत महाविद्यालय  के 20 हजार से अधिक छात्र इन परीक्षा परिणामों में फेल हो गए हैं.


इसकी एक बड़ी वजह परीक्षा पद्धति को माना जा रहा है. वहीं दूसरी वजह महाविघालयों में विषयों से संबंधित प्राध्यापकों की कमी बनी हुई है. जानकारों की  माने तो है कि विश्वविद्यालय की स्थापना बस्तर में जिस उद्देश्य से की गई थी उसके विपरीत बस्तर के स्थानीय छात्रों  को  उच्च शिक्षा में बेहतर करने के लिए विश्वविद्यालय उपयोगी साबित नहीं हो पा रहा है. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रबंधन को अपने संसाधन बढ़ाने के साथ-साथ छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए नये उपाय की जरूरत है.


शिक्षकों की कमी बनी वजह
दरअसल बस्तर विश्वविद्यालय का , विवादों से पुराना नाता रहा है और जिस उद्देश्य से विश्वविद्यालय को बस्तर में शुरू किया गया था, उस उद्देश्य की पूर्ति  नहीं होती दिखाई दे रही है. माना जा रहा था कि विश्वविद्यालय की स्थापना से उच्च शिक्षा में स्थानीय छात्रों को बेहतर अवसर प्राप्त होंगे, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद भी छात्रों का  खराब प्रदर्शन सामने आ रहा है. कोरोनाकाल के बाद से लगातार छात्रों के परीक्षा परिणाम खराब ही आ रहे हैं. इस बार  बस्तर विश्वविद्यालय के नतीजे तो समय पर आ गए लेकिन जारी नतीजों में 20 हजार से अधिक छात्र फेल हो चुके हैं, इन छात्रों का पूरा साल खराब हो गया है.   एक बार फिर से उन्हें अपने विषयों की पढ़ाई पूरी करनी पड़ेगी.


 छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय ने मनमानी तरीके से नियम बनाए हैं जिससे परीक्षा में बेहतर नतीजे नहीं मिल रहे हैं और इसका नुकसान छात्रों को हो रहा है, छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए रेगुलर छात्रों को कॉलेज में उपस्थिति बढ़ाने के लिए वार्षिक मूल्यांकन को दो भागों में बांटा गया था इसमें एक भाग में एक्सटर्नल मूल्यांकन और दूसरे में इंटरनल  मूल्यांकन में लेकिन  एक्सटर्नल और इंटरनल के फेर में  कई छात्रों के परीक्षा परिणाम बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. दूसरी बड़ी वजह मानी जा रही है कि बस्तर विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित करीब 23 महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी बरकरार है और उपस्थिति ना के बराबर है. 


 प्राध्यापकों की कमी होने  की वजह से विभिन्न विषयों पर एडमिशन लेने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए छात्रों को प्रश्न बैंक बाजार से मिलने वाली संक्षिप्त किताबों पर निर्भर होना पड़ता है. विश्वविद्यालय में छात्रों का मकसद केवल किसी भी तरह से डिग्री पूरा करना रह जाता है.


प्रबंधन ने भी माना खराब आये छात्रो के रिजल्ट
गौरतलब है कि  विश्वविद्यालय की स्थापना बस्तर में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए की गई थी लेकिन विश्वविद्यालय इस मानक में खुद को खरा साबित करने में नाकाम रहा है. वही विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अभिषेक कुमार बाजपयी का कहना है कि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में जरूर प्रोफेसरों की कमी बनी हुई है, लेकिन छात्रों को बेहतर शिक्षा देने की लगातार कोशिश की जा रही है हालांकि इस साल छात्रों के परीक्षा परिणाम काफी खराब आए हैं, ऐसे में यह पता लगाया जा रहा है कि आखिर महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में 20 हजार छात्रों की फेल होने की वजह क्या है.


यह भी पढ़े: बारिश के चलते होने वाली बीमारियों से रहें सावधान, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवायजरी