देश के इतिहास में पहली बार एक साथ 200 से ज्यादा नक्सली शुक्रवार की सुबह छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सामने अपने हथियार डालकर आत्मसमर्पण करेंगे. पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में जवानों  को लगातार मिलती सफलता के बाद माओवादी संगठन में बिखराव से लगातार छत्तीसगढ़ के बस्तर के साथ-साथ तेलंगाना और महाराष्ट्र में भी नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. इसी कड़ी में कांकेर और बीजापुर के माड़ डिवीजन में सक्रिय करीब 200 से ज्यादा नक्सली मुख्यमंत्री के समक्ष सरेंडर कर रहे हैं.

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आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में केंद्रीय कमेटी  मेंबर रूपेश उर्फ आसन्ना इसके अलावा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सक्रिय नक्सली भास्कर और राजू सलाम के अलावा नक्सली प्रवक्ता राणीता भी सरेंडर कर रही है. माड़ डिवीजन से करीब 158 नक्सलियों में 70 नक्सली अपने हथियार के साथ सरेंडर कर रहे हैं. इसके अलावा कांकेर में सक्रिय रहे 50 नक्सलियों में 39 नक्सली अपने हथियार पुलिस के समक्ष डाल रहे हैं. इन हथियारों में बड़ी संख्या में एके-47 ,इंसास राइफल ऑटोमेटिक वेपंस के साथ देसी बंदूक भी शामिल है, साथ ही नक्सलियों में कई महिला नक्सली भी सरेंडर कर रही हैं.


महारष्ट्र में वेणुगोपाल उर्फ़ सोनू दादा ने किया था आत्मसमर्पण


दरअसल 2 दिन पूर्व ही नक्सलियों के पोलित ब्यूरो मेम्बर  वेणुगोपाल उर्फ सोनू दादा  ने अपने  60  साथियों के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के समक्ष सरेंडर कर दिया था. इसके बाद बस्तर संभाग के अलग-अलग इलाकों में सक्रिय नक्सली भी सरकार की मुख्य धारा से जुड़कर अपने हथियार डाल रहे हैं. माना जा रहा है कि अब बस्तर से नक्सलवाद पूरी तरह से समाप्ति की ओर है.


सीएम-डिप्टी सीएम रहेंगे मौजूद


शुक्रवार को होने वाले समर्पण समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देवसाय के साथ डिप्टी सीएम विजय शर्मा, डीजीपी अरुण देव गौतम के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि और बस्तर के आईजी, सीआरपीएफ की डीआईजी समेत तमाम पुलिस के आला अधिकारी मौजूद रहेंगे. शुक्रवार के रात को ही बीजापुर और कांकेर से सरेंडर करने वाले माओवादियों को जगदलपुर मुख्यालय ले आया गया है. हालांकि उन्हें मीडिया से अभी दूर रखा गया है.


दो दिनों में 258 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण


मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय  ने बताया कि बीते दो दिनों में 258 नक्सलियों का आत्मसमर्पण इस बात का प्रतीक है कि बंदूक नहीं, विश्वास की शक्ति जीत रही है. देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह  के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ आज नक्सलवाद के अंत की दहलीज़ पर है. छत्तीसगढ़ में पिछले 22 महीनों में 477 नक्सली अलग-अलग मुठभेड़ में मारे गए, 2110 ने आत्मसमर्पण किया और 1785 गिरफ्तार हुए हैं, जो हमारे छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त करने के अडिग संकल्प का प्रमाण है. 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य अब बहुत निकट है.


64 नये सुरक्षा कैंप खोले गए


यह परिवर्तन हमारी “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “नियद नेल्ला नार” योजना की सफलता का प्रमाण है. डबल इंजन सरकार की संवेदनशील नीतियों, बस्तर में स्थापित हो रहे सुरक्षा शिविरों ,और वनांचलों में शासन के प्रति बढ़ते विश्वास ने ही इस सकारात्मक परिवर्तन को संभव बनाया है. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब तक 64 सुरक्षा कैंप स्थापित किए जा चुके हैं, जिनसे न केवल सुरक्षा सुदृढ़ हुई है, बल्कि विकास और विश्वास की किरण भी हर गांव तक पहुंची है. अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर नक्सल आतंक से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं, जबकि दक्षिण बस्तर में यह लड़ाई अपने निर्णायक मोड़ पर है. "नियद नेल्ला नार" जैसी योजनाओं ने बस्तर में संवाद, विकास और संवेदना की नई धरती तैयार की है.