Bastar Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में छत्तीसगढ़ के बस्तर लोकसभा सीट के 8 विधानसभा क्षेत्र में सुबह से ही मतदान को लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह देखने को मिला, शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी ग्रामीण मतदाताओ ने बढ़-चढ़कर मतदान किया.


वहीं हिड़मा गांव के ग्रामीणों ने भी पहली बार लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लिया और पूवर्ती गांव से सिलगेर गांव में बने मतदान केंद्र पहुंच कर अपने मत का प्रयोग किया. दरअसल सुकमा जिले के अतिसंवेदनशील क्षेत्र में मौजूद पुवर्ती गांव मोस्ट वांटेड नक्सली हिड़मा का पैतृक गांव है, जो नक्सलियों के मांद में मौजुद है, हालांकि कुछ दिन पहले सुरक्षाबल के जवानों के द्वारा यहां पुलिस कैंप खोला गया, और नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना कहे जाने वाले इस इलाके से नक्सलियो को बैकफुट में लाया गया.


1 बजे तक नहीं हुआ था एक भी मतदान
जवानों ने यहां के ग्रामीणों का विश्वास जीतने के लिए कम्युनिटी पुलिसिंग कार्यक्रम भी चलाया और उनका भरोसा जीतने में भी सफल हुए. यही वजह रही कि निर्भय होकर लोकसभा चुनाव में पहली बार इस गांव के ग्रामीणों ने मतदान किया, पूर्ववर्ती गांव अतिसंवेदनशील क्षेत्र होने की वजह से इस गांव के और अन्य 2 गांव के पोलिंग बूथ को सिलगेर गांव में बने मतदान केंद्र में शिफ्ट किया गया था. मतदान कर्मियों ने बताया कि 1 बजे तक पुवर्ती गांव से कोई भी मतदाता मतदान करने केंद्र तक नहीं पहुंचा था.




33 ग्रामीणों ने किया मतदान
पूर्ववर्ती के अलावा सिलगेर गांव के पोलिंग बूथ के अंतर्गत तीन गांव आते हैं. इसमें पूवर्ती, टेकलगुड़ा और जोनागुड़ा से भी कोई ग्रामीण नहीं पहुंचा था, लेकिन दोपहर 1:00 के बाद इन तीनों गांव से कुल 33 ग्रामीणों ने मतदान केंद्र पहुंचकर मतदान किया, हालांकि इस इलाके के कुछ ग्रामीणों के पास पहचान पत्र नहीं होने की वजह से वे बिना मतदान किये वापस लौट गए. 


कुल मतदाताओं की संख्या 647  है
मतदानकर्मी ने बताया कि सिलगेर मतदान केंद्र में पूवर्ती, टेकलगुड़ा और जोनागुड़ा गांव को शामिल किया गया था, इन तीनो गांव के कुल मतदाताओं की संख्या 647 है,  जिनमें पुरुषों की संख्या 353 और महिला मतदाताओ की संख्या 294 है, खूंखार नक्सली हिड़मा के दहशत की वजह से इस इलाके का कोई भी ग्रामीण पहले वोट डालने सिलगेर गांव के मतदान केंद्र तक नहीं पहुंचता था, लेकिन पहली बार लोकसभा चुनाव में इन गांवों के 33 मतदाताओ ने पूवर्ती गांव से 7 किलोमीटर का सफर तय कर सिलगेर मतदान केंद्र पहुंचे और अपने मत का प्रयोग किया.


पूवर्ती  गांव में लोकतंत्र की हुई जीत
इधर चुनाव से ठीक 2  दिन पहले ही इस इलाके में नक्सलियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी और जगह जगह नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार के बैनर पोस्टर लगाए और सड़कों पर पर्चे फेंके,  नक्सली भय की वजह से मतदान के दिन दोपहर 1 बजे तक कोई भी ग्रामीण वोट देने मतदान केंद्र नहीं पहुंचा, लेकिन 3 बजते बजते 33 ग्रामीण मतदान करने पहुंचे और उन्होंने वोट डाला, हालांकि बस्तर पुलिस ने पूवर्ती गांव में आजादी के 75 साल बाद पुलिस कैम्प खोल लिया और इलाके को अपने कब्जे में लिया , लेकिन इस क्षेत्र में खूंखार नक्सली हिड़मा का दहशत ग्रामीणो में अभी भी बरकरार है.


'लोकतंत्र की हुई है जीत'
यही वजह रही कि 647 मतदाताओं में से केवल 33 ग्रामीण मतदान करने पहुंचे, हालांकि बस्तर आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि जिस इलाके में पहले मतदान का प्रतिशत शून्य था उस इलाके में 33 मतदाताओ के वोट डालने से इस इलाके में लोकतंत्र की जीत हुई है, आने वाले सालों में निश्चित तौर पर ग्रामीणों के मन से नक्सलियों का भय दूर होगा और लोकतंत्र के इस महापर्व में इस क्षेत्र के ग्रामीण भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे.


आईजी ने कहा कि यह पुलिस के जवानो की उपलब्धि है कि इलाके में पुलिस ग्रामीणों का मनोबल जीत पाने में कामयाब हुई है, इस वजह से इन गांवो के 33 ग्रामीण मतदाताओं ने बेख़ौफ़ होकर पहली बार लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लिया और अपने मत का प्रयोग किया.


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