Ambedkar Jayanti 2022: भारत में संसद को ही लोकतंत्र का मंदिर माना जाता है लेकिन इसी भारत में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक संविधान का मंदिर भी मौजूद है. जहां संविधान की पूजा की जाती है. इस मंदिर की स्थापना 1996 में की गई थी. संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर गुरुवार को ग्रामीणों ने संविधान के मंदिर में पूजा की. दरअसल डाइकन स्टील प्लांट की स्थापना के विरोध में उपजे आंदोलन की सफलता ने आदिवासियों को संविधान में मिले उनके अधिकारों से अवगत कराया था.


उसी दौरान पंचायती राज में 73वें संशोधन से ग्राम सभाओं को मिली ताकत का सबसे पहले बस्तर में प्रयोग किया गया था. आखिरकार ये स्टील प्लांट नहीं बनाया जा सका, क्योंकि बुरुंगपाल ग्राम पंचायत ने ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर स्टील प्लांट को खारिज कर दिया था. इस जीत से उत्साहित ग्रामीणों ने स्टील प्लांट के शिलान्यास स्थल पर ही संविधान का मंदिर बना दिया. जहां आज भी पंचायत में किसी भी बैठक, सभा या कोई फैसला लेने से पहले इस मंदिर में संविधान की पूजा की जाती है.


6 फिट ऊंचा और 10 फिट चौड़ा है मंदिर


लगभग 3 हजार की आबादी वाले इस गांव की खास बात यह है कि यह देश में इकलौता संविधान का मंदिर है. 6 अक्टूबर 1992 को एसएम डाइकिन के स्टील प्लांट का भूमिपूजन और शिलान्यास हुआ था जिसे. ग्रामीणों का कहना था कि उनसे कंपनी के बारे में कोई सलाह नहीं ली गई, जबकि संविधान की पांचवीं अनुसूची में यह जरूरी है. इसके बाद प्लांट के विरोध में इलाके से सभी आदिवासी लामबंद हो गए और कई दिनों तक आंदोलन चला. आंदोलन की अगुवाई बस्तर के कलेक्टर रह चुके समाजशास्त्री ब्रम्हदेव  शर्मा ने की थी.


हालांकि मंदिर के लिए कोई कमरा नहीं बना है और न ही इस पर छत है. 24 दिसंबर 1996 को तैयार हुआ ये मंदिर एक बड़े चबूतरे पर 6 फीट ऊंची और 10 फीट चौड़ी दीवार खड़ी कर बनाया गया है. इस दीवार पर भारतीय संविधान में अनुसूचित क्षेत्रों के लिए ग्राम सभा की शक्तियां और इससे संबंधित जानकारी लिखी गई है. इस मंदिर को लेकर लोगों में गजब की आस्था है. गांव में कोई त्यौहार या कोई नया काम शुरू होने से पहले पूरा गांव यहीं जुटता है. यहां कोई फैसला देने से पहले संविधान की कसमें खाई जाती है. इसके बाद एक राय से काम शुरू किया जाता है.


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मंदिर से जुड़ी है गहरी आस्था


बस्तर में ये परंपरा करीब 25 साल से लगातार कायम है. पंचायती राज अधिनियम लागू होने के बाद 1998 में अविभाजित मध्य प्रदेश की पहली ग्रामसभा की बैठक भी बुरुंगपाल में ही हुई थी. स्टील प्लांट के विरोध में मिली एक सफलता से आदिवासियों की संविधान में इतनी आस्था हुई कि उन्होंने इस संविधान को अपने सांस्कृतिक और धार्मिक क्रियाकलापों में शामिल कर लिया. इसी का परिणाम है कि आज देश में संविधान का पहला मंदिर बस्तर के बुरुंगपाल में स्थापित है. ये मंदिर महज एक चबूतरे पर स्थापित किया गया है लेकिन ये बस्तर के उन लोगों की बड़ी सोच को परिभाषित करता है जिसे लोग पिछड़ा और अशिक्षित मानते हैं.


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