Ambikapur News: छत्तीसगढ़ के जिला सहकारी बैंकों में न तो नकदी की समस्या दूर हो रही है और न ही किसानों को मांग के अनुरूप राशि ही मिल पा रही है. चेस्ट बैंकों में नकदी किल्लत का असर किसानों की जरूरत पर पड़ रहा है. सहकारी बैंकों में हर रोज किसानों की भारी भीड़ उमड़ रही है. प्रतिदिन लगभग दो से ढाई करोड़ रुपये की मांग हो रही है. 


जबकि सहकारी बैंकों के द्वारा डेढ़ करोड़ मांगे जाने के बाद भी चेस्ट बैंक से मात्र एक करोड़ रूपए ही मिल रहे हैं. सहकारी बैंकों में कर्मचारियों की कमी के कारण पहले से ही काउंटर के सामने धक्के खाने के लिए मजबूर हो रहे किसानों की पीड़ा नकदी की किल्लत और बढ़ा रही है. 


चार घंटा पहले से गेट के सामने खड़े हो रहे हैं
सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर के नवापारा मार्ग स्थित जिला सहकारी बैंक में सुबह आठ बजे से ही किसान राशि आहरण के लिए पहुंच रहे हैं. जबकि बैंक खुलने का समय 11 बजे हैं. अत्यधिक भीड़ होने के चलते किसान चार घंटा पहले से गेट के सामने कतार बना खड़े हो रहे हैं ताकि उन्हें पहले मौका मिले. वहीं 11 बजे तक बैंक परिसर में खातेदारों की ठसाठस भीड़ जमा हो जा रही है. 


दो पहिया वाहनें ठसाठस भर रही है
बताया जा रहा है कि सहकारी बैंक से हर रोज लगभग 500 से 600 किसानों को राशि का भुगतान हो रहा है. इसके बावजूद कई किसान भीषण गर्मी में धक्के खाने के बाद भी खाली हाथ लौट रहे हैं.


इधर बैंक के सामने नवापारा मुख्य मार्ग में दोनों ओर दो पहिया वाहनें ठसाठस भर रही है. जिससे मार्ग में जाम की स्थिति भी निर्मित हो रही है. बैंक के भीतर भीषण गर्मी में किसान अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं. 


सभी किसानों को दे रहे राशि, कर्मियों की कमी से दिक्कत 
जिला सहकारी बैंक के प्रबंधक आरके खरे ने बताया कि हर रोज लगभग 1 करोड़ 20 लाख से 1 करोड़ 40 लाख रुपये तक का भुगतान किसानों को हो रहा है. चेस्ट बैंक से मांग के अनुरूप रुपये नहीं मिलने के चलते प्रतिदिन भुगतान में कटौती भी करनी पड़ रही है. हालांकि विवाह, बीमारी अथवा अन्य जरूरी कार्य होने पर किसानों को मांग के अनुरूप पैसा दिया जा रहा है.


उन्होंने बताया कि कर्मचारियों के कमी के चलते थोड़ी दिक्कत है, पासबुक जमा करने वाले हर किसान को भुगतान किया जा रहा है. बैंक से किसानों के खाली हाथ लौटने जैसी स्थिति नहीं है.


मांग 50 की तो मिल रहा 20 से 30 हजार
किसानों का कहना है कि शादी ब्याह, बीमारी अथवा सामान खरीदने के लिए यदि उनके द्वारा पर्ची में 50 हजार रुपये की मांग की जा रही है तो बैंक कर्मचारियों के द्वारा नकद का टोटा बताते हुए 20 से 30 हजार रुपये ही दिया जा रहा है. जिसके चलते किसानों की आवश्यकता की पूर्ति भी नहीं हो पा रही है. खाता में पर्याप्त रकम होने के बाद भी जरूरत पड़ने पर मांग के अनुरूप रुपये नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण उन्हें दो तीन दिन और बैंक में धक्का खाने मजबूर होना पड़ रहा है.


काउंटर बढ़ाने के बाद भी राहत नहीं
सहकारी बैंक में रुपये लेनदेन के लिए पूर्व में दो काउंटर बनाया गया था. वर्तमान समय में एक और काउंटर बढ़ाया गया है. तीन काउंटर होने के बावजूद किसानों को कोई राहत नहीं मिल रही है. बैंक में हर रोज लगभग एक हजार से अधिक किसान पहुंच रहे हैं. भीड़ को देखते हुए लगभग 20 फीसदी किसान दो तीन घंटे धक्के खाने के बाद पासबुक ले वापस लौट रहे हैं. जबकि शेष किसान सुबह से लेकर शाम तक अपनी बारी का प्रतीक्षा कर रहे हैं. 


किसानों की भीड़ के चलते बैंक कर्मचारियों को भी लंच करने का भी समय नहीं मिल पा रहा है. लगातार काम से बैंक कर्मी तनाव में भी रहते है. देर शाम 7 से 8 बजे तक किसानों के इंतजार करने के चलते बैंक में लेनदेन का कार्य चल रहा है.


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