पटनाः केंद्रीय मंत्री बनने के बाद जेडीयू नेता आरसीपी सिंह सोमवार को पटना आए. यहां आने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया. पार्टी कार्यालय पहुंचने के बाद आरसीपी सिंह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उन्होंने जातीय जनगणना पर मचे बवाल पर कहा कि जो लोग सवाल और राजनीति कर रहे हैं, उन्हें सात निश्चय का मॉडल अच्छे से समझना चाहिए.


आरसीपी सिंह ने कहा कि सेंसस का काम गृह मंत्रालय करता है. केंद्र सरकार में 1948 में एक्ट बना और ये उनका ही काम है. 2011 में कांग्रेस की सरकार थी तो मनमोहन सिंह की सरकार ने सोशल इकोनॉमी सर्वे कराया था और ये उनके गृह मंत्रालय ने नहीं, उनके ग्राम विकास मंत्रालय ने कराया जो सफल नहीं था. आप यूपी को देखें, 1994 में वहां भी सर्वे हुआ था कि पिछड़ी जाति कितनी है, उसी तरह कर्नाटक में भी हुआ. आज बहुत सारे राज्यों ने खुद सर्वे कराया है. हमारे नेता का न्याय के साथ विकास है, समावेशी समाज का और सात निश्चय है. वो यह दर्शाता है कि समाज के जितने भी लोग हैं सबका विकास हो.


प्रधानमंत्री ने सामान्य श्रेणी में भी दिया आरक्षणः आरसीपी सिंह


केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि हमलोग जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं. वर्षों से देश की कई पार्टियां इसकी मांग कर रही हैं. एक समय में इसकी मांग इसलिए ज्यादा होती थी कि इस देश में आरक्षण एक मुद्दा था. हमारे संविधान में अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए जो आरक्षण मिला हुआ है और दूसरे आरक्षण में फर्क यह है कि उनकी आबादी के अनुरूप उन्हें मिले इसलिए जनगणना में एसी-एसटी की काउंटिंग होती है. संविधान में ही प्रावधान है कि जितनी आबादी है उतना आरक्षण उन्हें देना होगा इसलिए उनकी काउंटिंग होती है. बाद में जब पिछड़ी जाति में आरक्षण आया तो उसमें क्रीमी लेयर आया और जो ऊपर थे उन्हें आरक्षण नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट का आदेश था 50 प्रतिशत आरक्षण नहीं दे सकते और नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने सामान्य श्रेणी में भी आरक्षण दिया. कहा कि हमारा सात निश्चय पहला ऐसा प्रोग्राम है कि पूरे देश भर में सभी जाति और सभी धर्म को शामिल करता है. अब स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड को देखें तो किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया. हमारे नेता ने जो मॉडल बनाया उसमें समावेशी विकास की बात होती है.


एनडीए में खटपट को लेकर कहा कि बीजेपी के साथ कहीं कोई दिक्कत नहीं है. हम अच्छे से सरकार चला रहे हैं. बिहार विकसित बने इसके लिए हमलोग प्रयासरत हैं और हमलोगों को मौका मिला है तो देखेंगे क्या बेहतर हो सकता है. मुख्यमंत्री ने कुछ वर्ष पूर्व जब केंद में मनमोहन सिंह की सरकार थी तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए, बिहार के सभी पार्टियों की तरफ से उनसे समय मांगा गया था जो नहीं मिला. उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि आज आरक्षण उस तरफ का मुद्दा नहीं है जो 70 और 80 के दशक में हुआ करता था. अब वह दौर खत्म हो चुका है. पहले जब इंग्लैंड का शासन था तो उन्होंने भी जनगणना पर सोचा था कि कराई जाए पर उनका जनगणना के पीछे का उद्देश्य विकास नहीं बल्कि उनका अपना साम्राज्य कैसे विकसित हो इसके लिए था.


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