पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. रोजाना हजारों नए मरीज मिल रहे हैं. लोगों की संक्रमण के जद में आकर जान जा रही है. इधर, कोरोना से उत्पन्न स्थिति को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोल रहे हैं. वो रोजाना सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था और कोरोना से निपटने के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे कामों पर सवाल खड़े कर रहे हैं. 


पृथ्वी पर कहीं नहीं इतनी बेशर्म सरकार


इसी क्रम में गुरुवार को उन्होंने ट्वीट कर फिर एक बार राज्य सरकार और नीतीश कुमार पर हमला बोला. उन्होंने कहा, " बिहार से एनडीए के 40 में से 39 लोकसभा सांसद, 9 राज्यसभा सांसद, 5 केंद्रीय मंत्री हैं. 16 वर्षों से एनडीए के सीएम नीतीश कुमार और दो-दो उपमुख्यमंत्री हैं, फिर भी बिहार वैक्सीन, ऑक्सीजन और बेड की उपलब्धता में सबसे नीचे है. इतनी बेशर्म, विफल, नाकारा और निकम्मी सरकार पृथ्वी ग्रह पर कहीं और नहीं मिलेगी."


 






तेजस्वी यादव ने पूछा, " क्या आपने नीतीश जी को किसी बैठक में मजबूती से बिहार का हक-हिस्सा मांगते देखा और सुना है. बाकी प्रदेशों के सीएम तार्किक, तथ्यात्मक और आक्रामक रूप से अपने प्रदेश की समस्याओं, संसाधनों की कमी, केंद्र द्वारा असहयोग इत्यादि को खुल कर व्यक्त करते हैं. लेकिन ये डरे सहमे और दुबके से रहते हैं."


 






नेता प्रतिपक्ष ने कहा, "चमकी बुखार, बाढ़-सुखाड़, श्रमिकों का पलायन, कोरोना इत्यादि में बिहार को कभी भी केंद्र का सकारात्मक सहयोग नहीं मिला. बिहारवासियों ने लोकसभा में एनडीए को प्रचंड बहुमत दिया. लेकिन केंद्र की पक्षपाती नीतियों, निर्णयों से ऐसा प्रतीत होता है मानों केंद्र बिहार को देश का अभिन्न अंग नहीं मानती. जनसंख्या और क्षेत्रफल के साथ-साथ गरीबी, बेरोजगारी, पलायन और कोरोना संक्रमण दर इत्यादि में बिहार देश के अव्वल प्रदेशों में है, लेकिन बिहार को उस अनुपात में केंद्र सरकार से सहयोग नहीं मिलता. इसका दोषी मैं एनडीए के 48 सांसदों, बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मानता हूं. "


 






राज्य में जारी वैक्सीनेशन की प्रक्रिया पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, " बिहार वैक्सीनेशन में सबसे नीचे लेकिन वैक्सीन की बर्बादी करने में ऊपर है. आप इसी से समझ जाइये, बिहार सरकार और उसकी स्वास्थ्य व्यवस्था किन हाथों में है? नीतीश कुमार 16 वर्षों से सीएम हैं, जहां कोरोना महामारी तो छोड़िए साधारण चमकी बुखार से ही हजारों बच्चे मरते हैं. "


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