पटना: बिहार विधानसभा में मंगलवार को जमुई विधायक श्रेयसी सिंह और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का आमना-सामना हुआ. दोनों युवा नेताओं ने युवा के मुद्दे पर जमकर बहस की. दरअसल, राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए लंच के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भाषण दिया, जिसमें उन्होंने बिहार में खेलकूद की बुरी स्थिति का भी जिक्र किया.


बिहार में खिलाड़ियों के लिए नहीं किया गया काम


तेजस्वी ने कहा, " क्या हम नहीं चाहते हैं कि बिहार के खिलाड़ी भी अपनी पहचान बना सकें. लेकिन सरकार ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की है. इस दौरान उन्होंने जमुई विधायक और अंतरराष्ट्रीय शूटर श्रेयसी सिंह का जिक्र करते हुए पूछा कि वह बताएं कि बिहार में कहीं भी अन्तरराष्ट्रीय स्तर की शूटिंग रेंज है, जहां बिहार की प्रतिभाओं को उभरने का मौका मिल सके और वे गोल्ड मेडल जीत सकें?"


तेजस्वी के आरोपों का श्रेयशी ने दिया जवाब


ऐसे में तेजस्वी के आरोपों पर जवाब देते हुए पहली बार सदन में श्रेयसी सिंह ने बजट में की गयी घोषणाओं का ज़िक्र किया. श्रेयसी सिंह ने तेजस्वी यादव को बीच में रोकते हुए कहा कि कल ही बजट में इस बात की घोषणा की गई है कि राजगीर में खेल विश्वविद्यालय शुरू की जाएगी.


श्रेयसी सिंह ने कहा कि जहां तक बिहार में शूटिंग रेंज शुरू करने की बात है, तो इसके लिए कला और संस्कृति मंत्री आलोक रंजन जी से बात हुई है. उन्होंने इसका भरोसा दिया है कि बिहार में इसके लिए व्यवस्था की जाएगी. श्रेयसी ने हंसते हुए तेजस्वी से कहा कि आप चिंता न करें इसकी, हम देख लेंगे.


तेजस्वी ने श्रेयशी को बताया बैचमेट


इस पर तेजस्वी यादव ने कहा कि आप हमारे साथ स्कूल में पढ़ी हैं, हमारी बैचमेट रहीं हैं. आप यहां पहुंच चुकी हैं, लेकिन सरकार बताये कि सरकार ने बीते पंद्रह सालों में खेलकूद के क्षेत्र में क्या किया? जहां तक स्पोर्टस यूनिवर्सिटी की बात है तो वह हमारे कार्यकाल में तैयार की गई थी, सिर्फ उसका नाम बदल दिया गया है.


श्रेयसी को विधानसभा अध्यक्ष ने दी नसीहत


तेजस्वी यादव के सवालों का जवाब देने के दौरान सदन में पहली बार बोलने के दौरान श्रेयसी को विधानसभा अध्यक्ष की नाराजगी भी झेलनी पड़ी. दरअसल, श्रेयसी ने बैठे-बैठे ही जवाब देना शुरू किया, तो विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने उनसे कहा कि आप सदन की मर्यादा का पालन करें और जो कुछ कहना है, खड़े होकर कहें. फिर अध्यक्ष ने हल्के अन्दाज़ में कहा कि दरअसल ये पहली बार सदन पहुंची, इसलिए शायद नहीं जानकारी थी यहां के नियमों की और उन्हें जानकारी देना जरूरी है.