पटना: सम्राट अशोक के मुद्दे पर बिहार एनडीए (NDA) में बवाल जारी है. बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) के नेताओं के बीच वार-पलटवार का दौर जारी है. दोनों पार्टियों के नेता भाषाई मर्यादा को भूलकर अपनी-अपनी भड़ास निकाल रहे हैं.  ऐसे में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी (Sushil Modi) दोनों पार्टियों के बीच लगी आग को बुझाने में जुट गए हैं. उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट कर दोनों पार्टियों से इस मुद्दे पर बयानबाजी बंद करने की नसीहत दी है.


बिहार एनडीए को तोड़ने की हो रही कोशिश


सुमो ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर कहा, "  सम्राट अशोक पर आधारित उस पुरस्कृत नाटक में उनकी महानता की चर्चा भरी पड़ी है, औरंगजेब का कहीं जिक्र तक नहीं, लेकिन दुर्भाग्य से, इस मुद्दे को तूल दिया जा रहा है. 86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं. उनके एक इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गई. "


 



 


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अवार्ड को सरकार से जोड़ना उचित नहीं


उन्होंने कहा, " दया प्रकाश सिन्हा ने एक हिंदी दैनिक से ताजा इंटरव्यू में जब सम्राट अशोक के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए सारी स्थिति स्पष्ट कर दी, तब एनडीए के दलों को इस विषय का यहीं पटाक्षेप कर परस्पर बयानबाजी बंद करनी चाहिए. दया प्रकाश सिन्हा के गंभीर नाट्य लेखन और सम्राट अशोक की महानता को नई दृष्टि से प्रस्तुत करने के लिए उन्हें साहित्य अकादमी जैसी स्वायत्त संस्था ने पुरस्कृत किया. यही अकादमी दिनकर, अज्ञेय तक को पुरस्कृत कर चुकी है. साहित्य अकादमी के निर्णय को किसी सरकार से जोड़ कर देखना उचित नहीं."


 



 


सुशील मोदी ने जेडीयू को याद दिलाई ये बात


सुशील मोदी ने कहा, " सम्राट अशोक का बीजेपी सदा सम्मान करती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया था. 2015 में बीजेपी ने बिहार में पहली बार सम्राट अशोक की 2320 वीं जयंती बड़े स्तर पर मनाई और हमारी पहल पर बिहार सरकार ने अप्रैल में उनकी जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की. उन्होंने कहा कि हम अहिंसा और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सम्राट अशोक की कोई भी तुलना मंदिरों को तोड़ने और लूटने वाले औरंगजेब से कभी नहीं कर सकते. अशोक ने स्वयं बौद्ध धर्म स्वीकार किया, लेकिन उनके राज्य में जबरन धर्मांतरण की एक भी घटना नहीं हुई. वे दूसरे धर्मों का सम्मान करने वाले उदार सम्राट थे, इसलिए अशोक स्तम्भ आज भी हमारा राष्ट्रीय गौरव प्रतीक है. "


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