पटना: जनसंख्या नियंत्रण को लेकर नई नीति भले ही उत्तर प्रदेश में लागू की गई है. लेकिन योगी सरकार के इस बड़े फैसले की तपिश बिहार की राजनीति तक पहुंच रही है. सूबे के नेता नई नीति पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कह दिया कि वे फिलहाल ऐसे किसी कानून के पक्ष में नहीं है. दूसरे राज्यों को अधिकार है कि वो अपने ढंग से फैसले लें. लेकिन यहां (बिहार) हम अपने तरीके और सोच के अनुसार फैसले लेंगे. केवल कानून बना देने से जनसंख्या नियंत्रण नहीं हो सकता. इसके लिए जागरूकता आवश्यक है. 


नित्यानंद राय ने कही ये बात


हालांकि, बिहार बीजेपी के नेता खुले कंठ से योगी सरकार के फैसले की तारीफ कर रहे हैं, जनसंख्या नियंत्रण कानून का पक्ष में हैं और बिहार में भी उसे लागू करने की मांग कर रहे. सोमवार को पटना पहुंचे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि कई सारे पहलू हैं, इसको (जनसंख्या नियंत्रण कानून) लेकर मुख्यमंत्री की अलग सोच हो सकती है. वहीं, उत्तर प्रदेश में कानून लागू किए जाने के संबंध में जब उनसे पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि हां, उत्तर प्रदेश में इसे लागू कर दिया गया है और यह अच्छी बात है. बिहार एनडीए में खींचतान के संबंध में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनडीए में सब कुछ ठीक है, विपक्ष जो है वह जानबूझकर ऐसी बयानबाजी करती रहती है.


उपमुख्यमंत्री ने जताई असहमति


इधर, बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी भी नीतीश कुमार की बातों से सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए राज्य में मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, कुपोषण में कमी, साक्षरता दर बढ़ाने और परिवार नियोजन के संबंध में व्यापक जागरूकता लाने की जरूरत है. हालांकि, यह सभी कार्य हो रहे हैं, इन कार्यों के परिणाम भी अच्छे मिले हैं. लेकिन इसे युद्धस्तर पर करने की जरूरत है.


उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को जागरूक करने की जरूरत है क्योंकि पुरुषों में नसबंदी को लेकर काफी डर देखा जाता है. बिहार के कई जिलों में तो नसबंदी की दर मात्र एक प्रतिशत है. महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए सरकारी अस्पतालों में कई सुविधाएं दी जाती हैं. मगर इन सुविधाओं का लाभ महिलाओं तक तभी पहुंचेगा जब घर के पुरुष जागरूक हों और महिलाओं को अस्पताल तक लेकर जाएं.


उपमुख्यमंत्री ने कहा, " अक्सर देखा गया है कि बेटे की चाहत में पति और ससुराल वाले महिला पर अधिक बच्चे पैदा करने का दबाव बनाते हैं, जिससे परिवार का आकार बड़ा होता जाता है. जनसंख्या नियंत्रण के लिए जेंडर इक्‍वालिटी पर भी काम करने की जरूरत है. लोगों को समझना होगा कि बेटा-बेटी एक समान हैं."


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