पटना: जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) के दौरान वैशाली के चेहराकला प्रखंड में सोमवार को पदयात्रा शिविर में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने पीएम नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि गांव-गांव में देख रहें है कि छोटे-छोटे बच्चे पदयात्रा में आते हैं, जिनके पैरों में चप्पल और शरीर पर कपड़े तक नहीं है, वे बच्चे जब पढ़ने जाते हैं तो स्कूल में पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि कीड़े वाली खिचड़ी खाने जाते हैं. बच्चे पढ़कर घर में बेरोजगार बैठे हैं. फैक्ट्री में मजदूरी कर रहे हैं, लेकिन आपको अपने बच्चों की चिंता ही नहीं है. आपको चिंता है अपनी जाति की, भारत-पाकिस्तान की, आपको नरेंद्र मोदी का 56 इंच का सीना दिख रहा है लेकिन अपने बच्चे का भूख से सिकुड़ा सीना नहीं दिख रहा है, ये बिहार के लोगों की दुर्दशा है.


'कोई दल या नेता आपके बच्चों की चिंता नहीं करेगा'


प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लोगों को कुछ आए या ना आए लेकिन राजनीति की बात करना बहुत अच्छे से आता है, जहां चार आदमी बैठ जाते हैं उनके पास नौकरी नहीं है. जेब में पैसा नहीं है लेकिन देश-विदेश की राजनीति का पूरा ज्ञान है. इस अभियान को इसलिए चलाया जा रहा है और आपको हाथ जोड़कर समझाया जा रहा है कि अगर आप अपने और अपने बच्चों की चिंता नहीं करेंगे, उनकी पढ़ाई और रोजगार की चिंता नहीं करेंगे तो कोई दल या कोई नेता आपके बच्चों की चिंता नहीं करेगा, जब आपको अपने बच्चे की चिंता नहीं है तो नेता को गाली देने से क्या होगा? 


राजनीतिक दलों पर साधा निशाना


चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि पिछले 50 सालों में जिस भी दल ने बिहार में काम किया है उसको सही मान लीजिए. मान लीजिए कि कांग्रेस ने भी अपने शासनकाल में बहुत अच्छा काम किया. लालू यादव के शासनकाल में जो गरीब और सामाजिक रूप से पिछड़े थे उनको आवाज मिल गई, ये भी मान लीजिए. नीतीश कुमार ने भी अपने शासनकाल में विकास कर दिया, यदि सब की बात को सही भी मान लिया जाए तो भी आज बिहार देश का सबसे गरीब, बेरोजगार, आशिक्षत और सबसे ज्यादा भुखमरी वाला राज्य है.


बिहार की दशा में कोई सुधार नहीं- प्रशांत किशोर


आगे प्रशांक किशोर ने कहा कि आज बहस करने की कोई बात ही नहीं है, यदि सभी दलों ने काम किया है तो भी हमारी स्थिति आज सबसे खराब है तो जिस रास्ते पर बिहार पिछले 50 सालों से चल रहा है उस रास्ते पर चलकर, बिहार का विकास मुमकिन नहीं है. पिछले 50 सालों में 27 से ज्यादा मुख्यमंत्रियों ने शासन किया लेकिन बिहार की दशा में कोई सुधार नहीं है.


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