सहरसा: मछली पालन और सब्जियों की खेती दो अलग-अलग काम हैं. मछली पालन जहां तालाब में की जाती है, वहीं, सब्जियों की खेती के लिए जमीन चाहिए. लेकिन बिहार के सहरसा जिले में कुछ किसान मछली पालन के साथ ही सब्जियां भी उगा रहे हैं. सुनने में थोड़ा अटपटा लग सकता है, लेकिन ये बात सच है. सहरसा जिले के कहरा प्रखंड के बनगांव और नवहट्टा प्रखंड के रामोति गांव के रहने वाले लगभग 20 किसान टू इन वन खेती कर रहे हैं.


किसान तालाब में मछली पालन तो कर ही रहे साथ ही उसमें 200-200 लीटर के आठ ड्राम लगाकर उसके ऊपर बांस का मचान बनाकर सब्जियां उपजाने का भी काम कर रहे. इस संबंध में किसान शमीम ने बताया कि कलकत्ता से आयी एनजीओ की टीम ने उन्हें खेती के इस तकनीक की जानकारी दी थी.


दरअसल, किसानों ने उनके पास ये चर्चा की थी कि उनका  इलाका बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है और जमीन में बहुत नामी रहती है. ऐसे में फसल उपजाना मुश्किल है. तब, उनलोगों ने किसानों को टिप्स दिया कि आपके पास पोखर है, तो आप मछली भी पाल सकते हैं और जैविक खेती भी कर सकते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि जो गरीब किसान हैं, जिनके पास जमीन नहीं हैं, उनलोगों को अगर इस काम में लगाते हैं, तो उनलोगों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी. पुराने पद्धति से की जा रही खेती और इस खेती में काफी अंतर है.


शमीम ने बताया कि अभी 20 किसान ही इस तरह की खेती कर रहे हैं. लेकिन आने वाले समय में और किसान भी इस काम जुड़ेंगे. उन्होंने बताया कि अभी वर्तमान में वे करेला, धनियां, भिंडी, खीरा, लाल साग, कद्दू, पालक साग, झिंगली इत्यादि उगा रहे हैं. शमीम की मानें तो खेती की इस पद्धत्ति से सब्जियां जल्दी उगती हैं. धनियां जिसे आम तौर पर उगाने में 18 से 20 दिन का समय लगता है, इस पद्धति में 10 से 15 दिन में काटने लायक हो जाता है.


यह भी पढ़ें -


बिहार सरकार ने मनमानी करने वाले अधिकारियों को दी हिदायत, MP-MLA के साथ करें सही व्यवहार

बिहार: प्रेमिका से मिलने पहुंचा था प्रेमी, ग्रामीणों की पड़ी नजर तो खेत में ही करा दी दोनों नाबालिगों की शादी