पटनाः बिहार सरकार की ओर से एएनएम और आशा वर्कर्स को मेडिकल किट दी जी रही है. उस किट के माध्यम से वे गांव-गांव तक पहुंचेंगी और मरीजों की पहचान करेंगी. ऐसे में लोगों को जो भी बीमारी होगी उसके बारे में बताएंगी. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के निदेशक हरि मेनन ने एबीपी न्यूज से बातचीत की.


प्रत्यय अमृत ने कहा कि मुख्य रूप से ये जो किट दी जा रही है इसका उद्देश्य है कि जब ये ग्रामीण इलाके में ये जाएं तो स्वास्थ्य जांच में सहूलियत हो. हमारे यहां 80 हजार से ज्यादा आशा कार्यकर्ता हैं और एएनएम 19 हजार के आसपास हैं. इन सबको किट दी जा रही है. कहा कि कोरोना के दौरान यह महसूस किया गया कि अगर इनके पास सारे उपकरण उपलब्ध होते हैं तो तुरंत जांच कर वे इसकी जानकारी दे सकती हैं. इसलिए इन्हें स्मार्ट फोन भी दिए जा रहे हैं ताकि तकनीक का उपयोग कर कम से कम समय में सूचना मुख्यालय तक पहुंचे सके.



एएनएम और आशा को किट में दिए गए ये सामान


प्रत्यय अमृत ने आगे कहा कि एएनएम को जो बैग है इसमें डिजिटल ब्लड प्रेशर की मशीन भी है. ग्लूको मीटर दिया गया है और डिजिटल थर्मामीटर है. इसके अलावा कई ऐसे भी उपकरण हैं जिससे मदद मिलेगी. वहीं, जो आशा की कार्यकर्ता हैं उन्हें छोटे-छोटे बच्चों के लिए दो कंबल दिए गए हैं. जो नवजात बच्चे होंगे उनके वजन के लिए भी उपकरण दिए गए हैं. साथ में टॉर्च, डिजिटल वॉच और थर्मामीटर भी है. इसके अलावा नवजात बच्चों की फीडिंग के लिए बेबी स्पून दिया गया. आशा को भी स्मार्ट फोन दिया गया है. कहा कि कोरोना के समय में इसकी जरूरत महसूस की गई थी. पटना से इसकी शुरुआत कर दी गई है. अगले एक सप्ताह में अन्य जगहों पर भी इसकी शुरुआत हो जाएगी.


हेल्थ और न्यूट्रिशन पर सबसे ज्यादा होगा फोकस


बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के निदेशक हरि मेनन ने कहा कि हमारे एमओयू का तीसरा चरण है और यह दस साल से चल रहा था. अगले पांच साल के लिए इसे रिन्यू किया गया है. इसमें हेल्थ और न्यूट्रिशन पर ज्यादा फोकस है. सरकार के मुख्य कार्यक्रम जो इनसे संबंधित हैं उसका इम्प्लीमेंटेशन करते हैं चाहे वो बिहार सरकार हो या केंद्र की सरकार. कहा कि हम वैसे पार्टनर को लाते हैं जो टेक्निकल हैं और वो राज्य और जिले के लेवल पर सरकार के साथ काम करते हैं.


हरि मेनन ने कहा कि हेल्थ में हमारी पार्टनरशिप केयर इंडिया के साथ है. अगले पांच सालों में मुख्यमंत्री ने हमसे सपोर्ट मांगा है और कहा है कि इस तरह काम किया जाए कि राज्य की खुद की क्षमता बढ़ जाए. इसके लिए हेल्थ सिस्टम में जो लोग हैं उन्हें कैसे ट्रेनिंग दी जाए कि स्टेट की क्षमता बढ़ जाए और जो राज्य में क्षमता बढ़ाने वाले यूनिट हैं उनकी क्षमता कैसे बढ़ाई जाए.


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