बिहार चुनाव के बीच सत्ताधारी गठबंधन दल NDA को लेकर बड़ी खबर आ रही है. सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार की नाराजगी के बीच NDA के सीट शेयरिंग फॉर्मूला में बदलाव हो सकता है. BJP अपने कोटे से एक सीट जीतन राम मांझी को दे सकती है.

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अगर ऐसा हुआ तो BJP की सीटों की संख्या 100 हो जाएगी और पार्टी 'छोटे भाई' की भूमिका में आ जाएगी. बीजेपी के मुकाबले JDU एक सीट ज्यादा पर लड़ेगी. वहीं, चिराग पासवान की LJPR के कोटे से एक सीट उपेंद्र कुशवाहा को दी जा सकती है.


NDA में किसको कितनी सीटें मिलेंगी?


दरअसल, सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा 6-6 सीट मिलने से नाखुश हैं. अगर उन्हें खुश करने के लिए NDA में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला बदलता है, तो कुछ इस प्रकार होगा-
JDU- 101 
BJP- 100 
LJPR- 28 
HAM- 7 
RLM- 7


सीट शेयरिंग के बाद मांझी और कुशवाहा दिखे नाखुश


वर्तमान फॉर्मूला में जदयू और बीजेपी दोनों 101-101 सीटों पर लड़ रहे हैं, जबकि लोजपा (रा) 29, हम 6 और आरएलएम 6 सीटों पर लड़ रही हैं. हालांकि, इस अपनी सीटों की संख्या से जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा दोनों असंतुष्ट बताए जा रहे हैं. दोनों नेताओं को अब तक केवल 6-6 सीटें मिलने की बात तय हुई थी, जिससे वे नाखुश हैं. अगर उन्हें एक-एक अतिरिक्त सीट मिलती है, तो उनकी नाराजगी कुछ हद तक कम हो सकती है.


NDA में 'बड़े भाई' की भूमिका निभाता है JDU


सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ सीटों को लेकर पहले से ही नाराज हैं. जदयू कोटे की कुछ सीटें चिराग पासवान की पार्टी को दिए जाने से नीतीश ने असहमति जताई है. उनका मानना है कि जदयू हमेशा से एनडीए में 'बड़े भाई' की भूमिका में रही है, इसलिए बीजेपी के साथ सीटों की संख्या में बराबरी का फॉर्मूला स्वीकार्य नहीं है.


क्या चिराग पासवान अपने कोटे से एक सीट छोड़ेंगे?


जानकारी के अनुसार, जदयू ने यह भी तय कर लिया है कि वह अपनी मौजूदा सिटिंग सीटें किसी अन्य सहयोगी दल के लिए नहीं छोड़ेगी. पार्टी उन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या चिराग पासवान अपने कोटे से एक सीट छोड़ने को तैयार होंगे?


एनडीए के भीतर यह नई गणित न केवल सीटों के बंटवारे का मामला है, बल्कि यह सत्ता संतुलन और नेतृत्व की स्थिति का भी संकेत देती है. नीतीश कुमार की नाराजगी और बीजेपी की संभावित रियायत से आने वाले दिनों में बिहार की सियासत में नए समीकरण बन सकते हैं.