अरवल: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज का बिहार से बड़ा गहरा रिश्ता है. उनकी बेगम रुकसाना बिहार के अरवल जिले के किंजर की ही रहने वाली थीं. किंजर में उनका एक आलीशान बंगला है, जिसे नगला का बंगला के नाम से जाना जाता है. लेकिन समय की मार और सरकारी उदासीनता की वजह से आज नगला का बंगला खंडहर में तब्दील हो गया है. गुमनामी के साथ-साथ वो अपना वजूद खोता जा रहा है.


जहानाबाद-अरवल एनएच-110 पर किंजर थाना क्षेत्र स्थित बंगले के संबंध में जानकार बताते हैं कि साल 1911 में बंगाल के कारीगरों ने चाईनीज सेरामिक पत्थरों से बंगले का निर्माण किया था. बताया जाता है कि इसके निर्माण के लिए शिल्पकारों के साथ-साथ सामग्रियों को भी स्पेशल ट्रेन से जहानाबाद लाया गया था. इस कला के प्रदेश में मात्र दो बंगले हैं. एक यह बंगला है और दूसरा बक्सर में है. बंगले के मालिक शहादत हुसैन साह ने इसे आजादी के दिवानों को हवाले कर दिया था.


बंगले में हुआ करती थी गुप्त बैठकें


बता दें कि इसी बंगले में स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर कई बार गुप्त बैठकें भी हुई थीं. स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में शामिल महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, विनोवा भावे, सुभाष चंद्र बोस, डॉ श्री कृष्ण सिंह, अनुग्रह नारायण सिंह और शाह उमैर जैसे महान विभूति के आगमन का भी यह बंगला गवाह रह चुका है.


बंगले के मालिक शहादत हुसैन शाह की पौत्री बेगम रुकसाना का जन्म यहीं हुआ था. उनकी शादी शौकत अजीज से हुई थी. वे आगे चलकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी बने थे. इस तरह से यह बंगला पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज का मूल ससुराल है. मिली जानकारी अनुसार शहादत हुसैन साह बंगाल में डिप्टी कलक्टर के पद पर नियुक्त हुए थे. उसके बाद उनके बेटे और बेगम रुकसाना के चाचा डॉ.महमूद साह इस बंगले में रहते थे.


नक्सलियों के भय से छोड़ दिया था बंगला


गौरतलब है कि मध्य बिहार में 80 के दशक में जब नक्सली आंदोलन अपने परवान पर था, उस समय इस बंगले और उनकी जायदाद पर नक्सलियों की नजर लग गई. नक्सलियों के बढ़ते प्रभाव के कारण महमूद शाह अपने परिवार के लोगों के साथ इस बंगले को छोड़कर पटना चले गए. तकरीबन 18 वर्षों तक इस बंगले और उनके जायदादों पर नक्सलियों का कब्जा रहा. बाद में प्रशासन के लोगों ने उसे नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराया.


सरकारी उपेक्षा का शिकार हो गया बंगला


किंजर के स्थानीय निवासी और सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रामप्रवेश सिंह बताते हैं कि हर दृष्टिकोण से अपने अंदर ऐतिहासिक महत्व रखने वाला यह बंगला देखभाल के अभाव में खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. इस ऐतिहासिक इमारत पर सरकार की नजर नहीं जा रही है. यही वजह है कि इस बंगले को जो दर्जा मिलना चाहिए था वह नहीं मिला. नगला गांव के निवासी आले अंसारी का कहना है कि इस बंगले को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर, यहां आवश्यक संसाधन मुहैया कराया जाना चाहिए.


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