बिहार के मुजफ्फरपुर में हुए सामूहिक आत्महत्या के बाद, जांच की जिम्मेदारी संभालने वाले आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) ने मंगलवार (23 दिसंबर, 2025) को घटनास्थल का दौरा किया. यह भयावह घटना 14 दिसंबर को मुजफ्फरपुर जिले के सकरा थाना क्षेत्र के मिश्रौलिया गांव में घटी, जहां एक ही परिवार के चार सदस्यों ने कथित तौर पर अपने घर में आत्महत्या कर ली.

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डीआईजी जयंत कांत के नेतृत्व में एक विशेष सीआईडी ​​टीम घटनास्थल पर पहुंची और विस्तृत फोरेंसिक और दस्तावेजी जांच की. सीआईडी ​​डीआईजी जयंत कांत ने इस घटना को बेहद दुखद और गंभीर बताया और कहा कि मृतक के मोबाइल फोन और घटनास्थल से मिले दस्तावेजों से महत्वपूर्ण सुराग बरामद हुए हैं.

जयंत कांत ने कहा कि सीआईडी ​​अब इस तकनीकी और दस्तावेजी सबूत का विश्लेषण कर सामूहिक आत्महत्या के पीछे के असली कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रही है. अमरनाथ राम ने कथित तौर पर 14 दिसंबर को अपनी तीन बेटियों और दो बेटों के साथ फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. हालांकि उनके दो छोटे बेटे इस सामूहिक आत्महत्या में बच गए. एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत से व्यापक शोक और आक्रोश फैल गया.

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घटना के पीछे आर्थिक तंगी और कर्ज लग रहा कारण

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और पूर्वी मुजफ्फरपुर के उपमंडल अधिकारी तुषार कुमार 14 दिसंबर को जांच के लिए सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे थे. प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि आर्थिक तंगी और बढ़ते कर्ज के दबाव ने अमरनाथ राम को यह चरम कदम उठाने के लिए मजबूर किया होगा. जांचकर्ता हर पहलू से यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि किन परिस्थितियों ने एक पिता को इतना दर्दनाक फैसला लेने पर विवश किया.

घटना के बाद, पुलिस प्रशासन ने अवैध रूप से संचालित ऋण संस्थानों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई शुरू की है. मुजफ्फरपुर पुलिस ने सकरा थाना क्षेत्र में संचालित कई माइक्रो माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कार्यालयों पर छापेमारी की. चौंकाने वाली बात यह है कि क्षेत्र में लगभग दो दर्जन माइक्रो माइक्रोफाइनेंस कंपनियां चल रही हैं, लेकिन उनमें से केवल चार ही पंजीकृत हैं. शेष संस्थाएं कथित तौर पर बिना लाइसेंस के चल रही हैं और अत्यधिक ब्याज दरें वसूल कर गरीब परिवारों का शोषण कर रही हैं.

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