बिहार में चुनाव से पहले विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण का काम चल रहा है, लेकिन इसकी टाइमिंग को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतने कम समय में एसआईआर क्यों कराया जा रहा है? विशेष पुनरीक्षण के पहले चरण के बाद 65 लाख लोगों के नाम काट दिए गए, जिसमें 22 लाख मृतक मतदाता हैं, दुर्भाग्य से भोजपुर के आरा निवासी मिंटू पासवान का नाम भी इन 22 लाख मृतकों में शामिल हो गया. मिंटू पासवान मरे नहीं बल्कि जिंदा हैं. 

सुप्रीम कोर्ट में खुद को जिंदा साबित करने पहुंचे 

अब मिंटू पासवान की परेशानी को आप समझ सकते हैं, वो बीएलओ के चक्कर काट रहे हैं, कह रहे हैं, "नाम तो काट दिया गया, लेकिन अब जिंदा साबित करने के लिए मुझे कई तरह के कागजात दिखाने पड़ रहे हैं. बहुत दिक्कत हो रही है."

एसआईआर पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को मिंटू पासवान सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे थे, जहां उन्होंने बताया है कि वोटर लिस्ट रिवीजन के दौरान बीएलओ ने उन्हें मरा हुआ बता कर मतदाता सूची से उनका नाम काट दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले ये अकेले व्यक्ति नहीं थे, इनकी तरह बिहार के 17-18 लोग खुद को ज़िंदा साबित करने वहां पहुंचे थे. 

बता दें कि बिहार में कराए गए मतदाता पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. विपक्ष मतदाता पुनरीक्षण में कई तरह की गड़बड़ियों का दावा कर रहा है और ये मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है, जहां सुनवाई के दौरान समाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने दो जिंदा लोगों को जज के सामने पेश किया, जिसमें एक मिंटू पासवान भी थे. मिंटू ने बताया कि कैसे बिना ठीक से पता लगाए उनका नाम काटा गया. 

आरा विधानसभा के शहरी मतदाता हैं मिंटू पासवान

मिंटू पासवान भोजपुर जिले में आरा विधानसभा के शहरी मतदाता हैं. पिता उदय पासवान हैं, उनकी उम्र 41 वर्ष है. इन्हें मृत घोषित कर मसौदा सूची से नाम हटा दिया गया. इनका पुराना एपिक नंबर 0701235 है. ये आरा नगर निगम के वार्ड नंबर एक सिंगही कला के मतदान केंद्र संख्या 92 (पुराना) और 100 (नया) के मतदाता रहे हैं. अब मिंटू इस बात से चिंतित हैं कि उनका नाम दोबारा चढ़ पाएगा या नहीं. हालांकि चुनाव आयोग ने ये साफ कहा है कि किसी भी सही मतदाता को वोटर लिस्ट से वंचित नहीं किया जाएगा. 

ये भी पढे़ं: Bihar SIR: बिहार में SIR के तहत 454 दावों-आपत्तियों का निपटारा, नए वोटर्स जोड़ने की प्रक्रिया भी जारी