पटना: जिउतिया हर साल हिंदी महीने के आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इसे जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा इसे जितिया के नाम से भी लोग जानते हैं. महिलाएं संतान की  लंबी उम्र, उज्ज्वल भविष्य को लेकर 24 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं के बच्चों को सुख समृद्धि और उन्नति मिलती है. जीवित्पुत्रिका व्रत को लेकर कोई कन्फ्यूजन है तो इसे दूर कर लीजिए.


इस वर्ष जिउतिया रविवार (18 सितंबर) को है. बिहार में सबसे अधिक चलने वाले ऋषिकेश पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 17 सितंबर को अपराह्न 2:56 बजे से प्रारंभ हो रहा है जो 18 सितंबर शाम 4:39 बजे तक है. सूर्य उदय तिथि 18 सितंबर को है. इस दिन लगभग तीन पहर बीत रहा है. इस कारण जितिया त्यौहार 18 सितंबर को ही मनाया जाएगा.


इस साल विशेष संयोग


पटना के संस्कृत कॉलेज के व्याख्याता और नामचीन ब्राह्मण पंडित अशोक द्विवेदी ने बताया कि इस बार जिउतिया त्यौहार मृगशिरा और आद्रा नक्षत्र का मिलन बताया जा रहा है जो एक शुभ और अहम संयोग है. मृगशिरा नक्षत्र 17 सितंबर को अपराह्न 2:14 बजे प्रवेश करेगा और 18 सितंबर को शाम 4:31 बजे तक रहेगा. इसके बाद आद्रा नक्षत्र प्रवेश करेगा जो 19 सितंबर की शाम 7:02 बजे तक रहेगा. कुल मिलाकर इस बार जिउतिया त्यौहार मृगशिरा और आद्रा नक्षत्र का मिलन है. हालांकि पूरी अष्टमी तिथि मृगशिरा में बीत रही है. मृगशिरा नक्षत्र और आद्रा नक्षत्र के एक दिन मिलन का संयोग बहुत ही शुभ माना जा रहा है. क्योंकि 27 नक्षत्रों में मृगशिरा पांचवें स्थान पर है जो इस बार जिउतिया के दिन पहले बीत रहा है. इसके बाद आद्रा नक्षत्र जो छठे स्थान पर है वो मृगशिरा के बाद प्रवेश कर रहा है. दोनों नक्षत्र मनुष्य के लिए फलदायक और जीवनदाई है.


विधि, पूजन एवं पारण का समय


इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास रहती हैं. एक दिन पहले यानी 17 सितंबर को नहाय-खाय होगा. इस दिन व्रती महिलाएं स्नान करके सूर्य देव की पूजा कर भोजन ग्रहण करेंगी. 18 सितंबर को पूरे दिन उपवास रहेंगी. शाम को जिउतिया का पूजन होगा. 18 सितंबर की शाम 6:05 बजे 7:33 तक कुंभ लग्न है. इसमें पूजा करना शुभकारी माना गया है. क्योंकि कुंभ लग्न स्थिर लग्न होता है और यह पूजा के लिए अच्छा माना जाता है.


दूसरे दिन 19 सितंबर की सुबह पारण करेंगी. ऋषिकेश पंचांग के अनुसार जितिया का पारण यानी नवमी तिथि को भोजन ग्रहण करने का समय 19 सितंबर सोमवार की सुबह 5:57 बजे के बाद बताया गया है. जिउतिया में समूह में फलने वाले साग सब्जियों से पारण करने की परंपरा है. पंचांग के अनुसार गाय के दूध से जितिया का पारण बहुत ही शुभकारी माना गया है.


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