पटना: जनता दरबार (Janta Darbar) में सोमवार को महिला की फरियाद सुनकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) हैरान रह गए. महिला अपने पति के बकाया तनख्वाह की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची थी. महिला की मानें तो उसके पति रविंद्र झा बक्सर के एक संस्कृत महाविद्यालय में प्रिंसिपल थे. लेकिन साल 2017 में शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने उनका वेतन बिना किसी सूचना के रोक दिया. जब उन्होंने पता करने की कोशिश की, तो कोई भी कारण नहीं बताया गया. ऐसे में थक हार कर प्रिंसिपल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 

हाई कोर्ट में दिया था ये आदेश

महिला ने बताया कि कोर्ट से जानकारी मिली कि 30 साल तक नौकरी करने के बाद भी सरकार के अनुसार उनकी नौकरी अस्थायी थी, जो अब तक अस्थायी है. हालांकि, 2019 में हाईकोर्ट ने 90 दिनों के अंदर शिक्षा विभाग को पैसे देने का आदेश दिया. लेकिन रविंद्र झा को पैसे नहीं दिए गए. उसके बाद वे कंटेंट में गए, वहां भी 60 दिनों के अंदर शर्त के साथ शिक्षा विभाग को पैसे देने का आदेश दिया गया, लेकिन उसमें भी निराशा हाथ लगी.

प्रिसिंपल के बेटे ने कही ये बात

इस संबंध में रविंद्र झा के बेटे रजनीश झा ने बताया कि उनके पिता पैसे नहीं मिलने की वजह से मानसिक तनाव से अस्वस्थ रहने लगे और सितंबर 2020 में कोरोना के कारण उनकी मौत हो गई. उनकी मां इंदु देवी अपने पति के बकाया पैसे के लिए दरभंगा विश्वविद्यालय गई, लेकिन वहां उन्हें बिहार शिक्षा विभाग से पैसे मिलने का हवाला दिया गया. ऐसे वे आज जनता दरबार आए और मुख्यमंत्री से भुगतान की गुहार लग

इंदु देवी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने आवेदन देखकर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी (Vijay Chaudhary) को दे दिया. लेकिन शिक्षा विभाग ने आवेदन देखकर यह कह कर चलता कर दिए कि देखते है इसमें क्या कर सकते हैं. अब देखना है कि कब तक पैसे मिलते हैं.

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