नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेता चिराग पासवान ने जेडीयू को अपनी पार्टी में विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुट द्वारा लिए गए फैसलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया पार्टी का संविधान उन्हें ऐसा कोई अधिकार नहीं देता है. पार्टी में विभाजन के बाद मीडिया के साथ अपनी पहली बातचीत में, उन्होंने खुद को 'शेर का बेटा' बताया और कहा कि वह अपने पिता रामविलास पासवान द्वारा स्थापित पार्टी के लिए लड़ेंगे.


विभाजन के लिए जेडीयू को दोषी ठहराते हुए, उन्होंने इस घटनाक्रम में बीजेपी की भूमिका के बारे में सवालों से किनारा कर लिया और कहा कि जो हुआ है वह एक आंतरिक मामला है, जिसके लिए वह दूसरों को निशाना नहीं बनाएंगे. उन्होंने कहा कि हनुमान को अगर राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर वह हनुमान काहे के और वह राम काहे के. मालूम हो कि बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान चिराग पासवान ने खुद को हनुमान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम कहा था.


चाचा से बात करने की कोशिश की- चिराग पासवान


एलजेपी नेता चिराग पासवान ने कहा कि ''यह सब तब हुआ जब मैं बीमार था. मैंने उस समय अपने चाचा से बात करने की भी कोशिश की लेकिन मैं असफल रहा.'' उन्होंने कहा कि ''सदन के नेता की नियुक्ति पार्लियामेंट्री बोर्ड का फैसला है, न कि मौजूदा सांसद. ऐसी खबरें आई हैं कि मुझे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है. पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष को केवल तभी हटाया जा सकता है जब उसकी मृत्यु हो जाती है या इस्तीफा देता है.''


चिराग ने कहा कि ''अगर मेरे चाचा मुझे बोलते कि वो संसदीय दल के नेता बनना चाहते हैं तो मैं तैयार हो जाता. बिहार चुनाव के दौरान, उससे पहले भी, उसके बाद भी कुछ लोगों द्वारा और खास तौर पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) द्वारा हमारी पार्टी को तोड़ने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था. मेरी पार्टी के पूरे समर्थन के साथ मैने चुनाव लड़ा. कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए तैयार नहीं थे. मेरे चाचा ने खुद चुनाव प्रचार में कोई भूमिका नहीं निभाई. मेरी पार्टी के कई और सांसद अपने व्यक्तिगत चुनाव में व्यस्त थे.''


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