नालंदा: छठ के आते ही देश भर के सूर्य मंदिरों की चर्चा होने लगती है. मान्यता है कि भारत में 11 और पाकिस्तान में एक सूर्य मंदिर का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र राजा साम्ब ने द्वापर युग में करवाया था. इसमें से एक सूर्य मंदिर नालंदा में है. नालंदा के बड़गांव के सूर्य मंदिर की चर्चा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है. बड़गांव इसलिए प्रसिद्ध है कि यहां छठ पूजा करने के लिए दूर-दूर से व्रती आते हैं.


बड़गांव को दिया गया है राजकीय मेले का दर्जा


इसे सदियों से सूर्योपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता है क्योंकि धार्मिक दृष्टिकोण से इसका बहुत ही महत्व है. यहां प्रागैतिहासिक कालीन का सूर्य तालाब है. माना जाता है कि भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की परंपरा बड़गांव से शुरू हुई थी. यहां साल में दो बार कार्तिक और चैत्र मास के दौरान छठ में भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं. बड़गांव को राजकीय मेले का दर्जा भी दिया गया है.


आज शुक्रवार (17 नवंबर) को नहाय खाय के साथ छठ की शुरुआत हो गई है. नहाय खाय पर बिहार के अलग-अलग जिलों के साथ-साथ झारखंड और बंगाल से भी लोग परिवार के साथ पहुंचे हैं. झारखंड से आए कुछ परिवार के सदस्यों ने बताया कि पिछले कई वर्षों से वे छठ पर्व करने के लिए यहां आते हैं. उनकी मन्नत पूरी हुई थी. फिलहाल जिला प्रशासन की ओर से तैयारी पूरी नहीं की गई है जिसके कारण लोग तंबू लगाकर नहाय खाय का प्रसाद बनाते दिखे. कुछ लोग प्रसाद ग्रहण भी करते दिखे.


जिला प्रशासन की ओर से यहां पहली बार टेंट सिटी का निर्माण कराया जा रहा है. हालांकि अभी तक पूरा नहीं हुआ है. जो लोग दूर से आए हैं उनको परेशानी झेलनी पड़ रही है. यहां दूर-दूर से लोग आकर चार से पांच दिन रहते हैं. छठ को लेकर बड़गांव में एनडीआरएफ की टीम के साथ-साथ मेडिकल टीम, शौचालय आदि की व्यवस्था की गई है. निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.


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