आरा: बिहार के बहुचर्चित ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अब चौंकाने वाला दावा किया है. सीबीआई की ओर से एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट आरा के कोर्ट में दाखिल की गई जिसमें पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय (Hulas Pandey) को भी आरोपित बनाया गया है. हुलास पांडेय के अलावा अभय पांडेय, नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी, रितेश कुमार उर्फ मोनू, मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय बालेश्वर राय, अमितेश कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पांडेय और प्रिंस पांडेय का नाम है.


चार्जशीट में बताया गया है कि ये लोग घटना के दिन कतीरा मोड़ आरा के पास शामिल हुए थे. हुलास पांडेय और बालेश्वर राय स्कॉर्पियो में थे. गाड़ी को मनोज राय चला रहा था. अभय पांडेय, नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी, मोनू, अमितेश कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पांडेय और प्रिंस रितेश कुमार पांडेय पैदल थे. ब्रह्मेश्वर मुखिया अपने घर के पास हर दिन की तरह सुबह में सैर कर रहे थे. देखने के बाद मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय ने उन्हें स्कॉर्पियो में बुलाया और फिर गाड़ी की बीच वाली सीट पर बैठाया था. इसके बाद स्कॉर्पियो को मनोज राय उनकी गली की ओर चलाकर जा रहा था. ब्रह्मेश्वर मुखिया के घर की ओर जाने वाली गली के ठीक आगे आकर स्कॉर्पियो रुकी. इसके बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया और हुलास पांडेय स्कॉर्पियो से उतरे. उनके साथ पांच अन्य व्यक्ति भी थे. इसी बीच नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी, रितेश कुमार उर्फ मोनू, अमितेश कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पांडेय और प्रिंस पांडेय पैदल ही उनका पीछा करते हुए घटनास्थल के पास पहुंच गए थे.


हुलास पांडेय ने पिस्टल निकालकर नजदीक से मारी थी गोली


इसी दौरान ब्रह्मेश्वर मुखिया के घर की ओर जाने वाली गली के अंदर नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी और अभय पांडेय ने उनका हाथ पकड़ लिया. हुलास पांडेय ने अपनी पिस्टल निकाली और ब्रह्मेश्वर मुखिया पर नजदीक से छह गोली चला दी जिससे उनकी मौत हो गई.


चार्जशीट में यह भी बताया गया है कि बाकी लोग भी घटनास्थल के आसपास थे और गुड्डू पांडेय हाथ में एके-47 लेकर सड़क पर खड़ा था. सीबीआई द्वारा रणवीर सेना प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड में आरा के जिला एवं सत्र न्यायालय के सेशन जज-3 के कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर करने के बाद यह मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है.


कौन है ब्रह्मेश्वर मुखिया?


बता दें कि मूल रूप से पवना थाना क्षेत्र के खोपिरा गांव निवासी ब्रह्मेश्वर मुखिया बिहार के प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना के सुप्रीमो थे. उन पर 2012 तक 277 लोगों की हत्या और उनसे जुड़े 22 अलग-अलग मामलों में केस दर्ज थे. उनको 16 मामलों में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था, जबकि बाकी छह मामलों में मुखिया को जमानत मिली थी. 29 अगस्त 2002 को पटना के एग्जीबिशन रोड से वहां की पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया नौ साल तक जेल में रहे. इसके बाद आठ जुलाई 2011 को उनकी रिहाई हुई थी. जेल से छूटने के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया आरा में ही ज्यादा रहते थे.


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