पटनाः भारतीय जनाता पार्टी (बीजेपी) कभी जातीय जनगणना के विरोध में नहीं रही. इसीलिए हम इस मुद्दे पर विधानसभा और विधान परिषद में पारित प्रस्ताव का हिस्सा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले बिहार के प्रतिनिधिमंडल में भी बीजेपी शामिल है. वर्ष 2011 में बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे ने जातीय जनगणना के पक्ष में संसद में पार्टी का पक्ष रखा था. यह बातें बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने रविवार को ट्वीट कर कहीं.


सुशील कुमार मोदी ने आगे कहा कि उस समय केंद्र सरकार के निर्देश पर ग्रामीण विकास और शहरी विकास मंत्रालयों ने जब सामाजिक, आर्थिक, जातीय सर्वेक्षण कराया, तब उसमें करोड़ों त्रुटियां पाई गईं. जातियों की संख्या लाखों में पहुंच गई. भारी गड़बड़ियों के कारण उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई. वह सेंसस या जनगणना का हिस्सा नहीं था.


सैद्धांतिक रूप से समर्थन में भारतीय जनता पार्टी


ब्रिटिश राज में 1931 की अंतिम बार जनगणना के समय बिहार, झारखंड और ओडिशा एक थे. उस समय के बिहार की लगभग एक करोड़ की आबादी में मात्र 22 जातियों की ही जनगणना की गई थी. अब 90 साल बाद आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक और राजनीतिक परिस्तिथियों में बड़ा फर्क आ चुका है. जातीय जनगणना कराने में अनेक तकनीकि और व्यवहारिक कठिनाइयां हैं, फिर भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सैद्धांतिक रूप से इसके समर्थन में है.


बता दें कि जातीय जनगणना कराने को लेकर बिहार में बवाल मचा हुआ है. इस पर नरेंद्र मोदी से बातचीत के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्र भी लिखा था. इसके बाद 23 अगस्त को मिलने का समय दिया गया. ऐसे में आज सोमवार को नीतीश कुमार प्रतिनिधिमंडल के साथ मिलने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जातीय जनगणना को लेकर आज बातचीत की जाएगी.


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