बक्सर: रात में आंदोलन कर रहे किसानों के घरों में पुलिस कार्रवाई का मामला अभी प्रदेश के सुर्खियों में है. वीडियो वायरल (Video Viral) होने के बाद अब इस मामले में पुलिस भी एक्शन में दिख रही है. इस मामले को लेकर कई पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं. प्रशासनिक अधिकारी किसानों से शांति के लिए अपील कर रहे हैं और उपद्रव (Buxar Violence) में शामिल उपद्रवियों पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं. किसान अब भी अपनी मांग पर अड़े हुए है. वहीं, इस मुद्दे को लेकर अब खूब राजनीतिक बयानबाजी भी हो रही है.


87 दिनों से किसान कर रहे थे आंदोलन


बक्सर के चौसा प्रखंड के बनारपुर में भारत सरकार का एसजेवीएन थर्मल पावर प्लांट के लिए किसान भूमि अधिग्रहण के लिए पिछले 87 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. करीब 10 हजार करोड़ की लागत से 1320 मेगा वाट के चौसा थर्मल पावर प्लांट के निर्माण कार्यस्थल पर प्रशासन और किसान आमने-सामने हैं. बुधवार को ये मामला तूल पकड़ लिया. बुधवार की सुबह वहां उपद्रव की सूचना है. पुलिस एक्शन के बाद मामला अभी शांत हो गया है. इस उपद्रव में थर्मल पावर परिसर के 16 वाहन जला दिए गए हैं,  जिसमें पुलिस के वज्र वाहन, अग्निशमन गाडियां और बाइक के अलावा चलंत ऑफिस भी शामिल है. 


दोषी पुलिसकर्मियों को किया गया लाइन क्लोज 


वहीं, किसानों के परिवार के साथ मारपीट के बाद इस मामले में कार्रवाई करते हुए सभी दोषी पुलिसकर्मियों को लाइन क्लोज किया गया है. मुफस्सिल थानेदार अमित कुमार को विरमित कर निर्मल कुमार को नया थानेदार बनाया गया है. इस घटना के बाद लगभग तीन बजे शाहाबाद के डीआईजी नवीन चंद्र झा भी थर्मल पावर प्लांट पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है. रात की घटना में शामिल दोषी पुलिसकर्मियों को लाइन क्लोज किया जा रहा है. वीडियो में दिख रहे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. थानेदार पर शो कॉज किया जाएगा. दोषी पाए जाने वाले पर निश्चित करवाई होगी. इसमें मुफस्सिल के थानाध्यक्ष अमित कुमार के साथ कुछ और पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इन सभी से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है.


उपद्रवियों पर होगी कार्रवाई- डीएम


इस मामले को लेकर डीएम अमन समीर ने कहा कि नियम के अनुसार किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है, जिसमें निर्णय राज्य सरकार को करना है. आगजनी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी. जिन्होंने यहां उपद्रव किया है. सीसीटीवी फुटेज और वीडियो के आधार पर उनकी पहचान की जा रही है. इस मामले में किसानों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि किसान धैर्य से काम लें. वहीं, बक्सर एसपी मनीष कुमार ने कहा कि वायरल फुटेज देख कर जांच की जा रही है, जिसमें उचित कार्रवाई की जाएगी.


किसी ने किसानों से नहीं किया वार्तालाप- अजीत कुशवाहा


घटना की सूचना मिलने के बाद बिहार सरकार में शामिल डुमराव से भाकपा माले विधायक अजीत कुशवाहा पहुंचे. उन्होंने बताया कि पुलिसिया कार्रवाई बेहद ही निंदनीय है. आधी रात को किसी के भी घर में घुसकर महिलाओं और किसानों के साथ मारपीट करना कहीं से भी जायज नहीं है. मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि ऐसे पुलिसकर्मियों पर निश्चित तौर पर कार्रवाई करनी चाहिए. इस मामले को लेकर मैं सदन में भी सवाल उठाऊंगा, किसानों द्वारा आंदोलन करना लोकतांत्रिक अधिकार है, जिसमें लाठी और गोली से बात नहीं की जा सकती. रात के अंधेरे में बात नहीं होती है, दिन के उजाले में बात करनी चाहिए. सवाल खड़ा करते हुए विधायक ने कहा कि पिछले 84 दिनों से किसान आंदोलनरत थे, कभी भी कोई घटना नहीं हुई, अधिकारियों को इस बीच किसानों से वार्तालाप करना चाहिए था. सांसद भी कान में तेल डालकर सोए रहते हैं. पिछले 84 दिनों में कई बार बक्सर में आने के बाद भी एक बार किसानों से नहीं मिले. विधायक ने किसानों से अपील की कि लोकतांत्रिक तरीके से अपना आंदोलन जारी रखें, जैसे पिछले 84 दिनों से चल रहा था, घबराए नहीं हम उनके साथ हैं.


पुलिसिया कार्रवाई से भड़का आंदोलन


बता दें कि किसानों के घरों में पुलिस की रात में कार्रवाई के बाद मामला बढ़ गया. किसान उग्र होकर थर्मल पावर प्लांट पर इकट्ठा हुए. इस दौरान अचानक देखते ही देखते पुलिस और ग्रामीण किसानों के बीच पत्थरबाजी शुरू हुई, जवाबी कार्रवाई में पुलिस को फायरिंग भी करना पड़ा, जिसके बाद वहां बवाल हो गया. पिछले 86 दिनों से चल रहे आंदोलन के दौरान किसानों से बातचीत कर समाधान के लिए न ही कोई पदाधिकारी उनसे मिलने पहुंचे और न ही किसानों के कोई नेता. रात के अंधेरे में किसानों के घरों में घुसकर पुलिसिया कार्रवाई नहीं होती तो शायद इतना ये आंदोलन उग्र नहीं होता.


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